रामगढ़, झारखंड के आदिवासी वेटलिफ्टर बाबूलाल हेंब्रम ने फिजी में आयोजित कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में देश का नाम रोशन किया है. इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में 49 किलोग्राम वर्ग में उन्होंने स्वर्ण पदक जीतकर अपने खेल कौशल का प्रदर्शन किया. उनकी यह उपलब्धि न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का विषय बनी है. बाबूलाल की इस जीत ने उनकी कठिन मेहनत, समर्पण और खेल के प्रति उनके जुनून को एक बार फिर साबित किया है.
बाबूलाल की सफर की शुरुआत
बाबूलाल हेंब्रम का जन्म झारखंड के रामगढ़ जिले के हेसागढ़ा गांव में हुआ था. उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है. उनके पिता, कैला मांझी, पेशे से मजदूर हैं और दिन-रात मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं. बाबूलाल का बचपन चुनौतियों से भरा था, लेकिन खेल के प्रति उसकी गहरी रुचि और लगन ने उसे एक अलग दिशा में ले जाने का काम किया. बचपन से ही बाबूलाल को खेलों में गहरी रुचि थी. वह गांव में जब भी समय मिलता, खेल में जुट जाता. उसकी इसी लगन और मेहनत ने उसे झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसायटी (JSSPS) तक पहुंचाया, जहां उसे खेल के प्रति उसकी निष्ठा और क्षमता के कारण वेटलिफ्टिंग का प्रशिक्षण लेने का मौका मिला.
JSSPS का हिस्सा बना बाबूलाल
साल 2018 में बाबूलाल का चयन JSSPS में हुआ, जो झारखंड सरकार और सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के संयुक्त प्रयास से संचालित किया जाता है. इस सोसायटी का उद्देश्य झारखंड राज्य के प्रतिभाशाली बच्चों को खेलों में प्रोत्साहित करना और उन्हें उच्च स्तर पर पहुंचने के लिए प्रशिक्षित करना है. बाबूलाल को इस सोसायटी में प्रवेश मिलने के बाद से वह प्रशिक्षक गुरविंदर सिंह के निर्देशन में लगातार प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है. JSSPS का योगदान बाबूलाल की सफलता में अहम भूमिका निभा रहा है. सोसायटी में वेटलिफ्टिंग, साइक्लिंग, बॉक्सिंग, कुश्ती और अन्य खेलों में कुल 11 खेल विधाओं में 286 प्रशिक्षुओं को निपुण प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां बाबूलाल ने भी अपनी मेहनत और कौशल को तराशा, जिसके परिणामस्वरूप आज वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रहा है.
फिजी में जीता स्वर्ण पदक
फिजी में 16 से 21 सितंबर 2024 तक आयोजित यूथ कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में बाबूलाल हेंब्रम ने 49 किलोग्राम वर्ग में हिस्सा लिया और अपने श्रेष्ठ प्रदर्शन से स्वर्ण पदक जीतकर झारखंड और देश का मान बढ़ाया. इस प्रतियोगिता में बाबूलाल ने न सिर्फ स्वर्ण पदक जीता, बल्कि नए रिकॉर्ड भी बनाए, जो उनकी अद्वितीय क्षमता और मेहनत को दर्शाते हैं.
कठिनाइयों के बावजूद सफलता की कहानी
बाबूलाल की इस उपलब्धि के पीछे उसकी कठिनाइयों भरी जिंदगी का भी एक बड़ा योगदान है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद, बाबूलाल ने कभी हार नहीं मानी. उसकी सफलता की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जो सीमित संसाधनों और कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने की चाह रखते हैं. बाबूलाल का परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है, लेकिन बाबूलाल की मेहनत और लगन ने उसे एक ऐसे मुकाम पर पहुंचा दिया है, जहां वह न केवल अपने परिवार, बल्कि अपने राज्य और देश का नाम रोशन कर रहा है. उनके पिता, कैला मांझी, जो पेशे से मजदूर हैं, ने हमेशा बाबूलाल को प्रेरित किया और उसे कभी भी कठिनाइयों के आगे हार मानने नहीं दिया.
JSSPS का महत्वपूर्ण योगदान
JSSPS, यानी झारखंड राज्य खेल प्रोत्साहन सोसायटी, का मुख्य उद्देश्य झारखंड के प्रतिभावान बच्चों को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए अवसर प्रदान करना है. यह सोसायटी सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) और झारखंड राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से संचालित होती है. इसके अंतर्गत विभिन्न खेल विधाओं में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें वेटलिफ्टिंग, साइक्लिंग, बॉक्सिंग, कुश्ती जैसे खेल शामिल हैं. बाबूलाल ने भी इसी सोसायटी के माध्यम से अपने खेल को नई दिशा दी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. JSSPS में कुल 286 प्रशिक्षु हैं, जिन्हें निपुण प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता है. यहां खेल अकादमी में बच्चों को उनके खेल में निपुण बनाने के साथ-साथ उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से भी मजबूत किया जाता है, ताकि वे बड़े से बड़े मंच पर अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर सकें. बाबूलाल हेंब्रम इसका जीता-जागता उदाहरण है, जिसने JSSPS में प्रशिक्षण लेकर फिजी में स्वर्ण पदक जीता.