अलमगीर आलम ने मुख्यमंत्री को सौंपा अपना त्यागपत्र..

बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में बंद आलमगीर आलम ने सोमवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. राजभवन ने भी उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. जेल के नियमों का पालन करते हुए उन्होंने मंत्री पद से एक पत्र के जरिए मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा भेजा. साथ ही कांग्रेस विधायक दल के नेता होने के नाते अपना इस्तीफा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे व राहुल गांधी को भी भेज दिया है. टेंडर कमीशन मामले में गिरफ्तार मंत्री आलमगीर आलम के मंत्रालय का प्रभार फिलहाल मुख्य्मंत्री चंपाई सोरेन ने अपने पास रख लिया.

15 मई को हुई थी गिरफ्तारी
आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं. टेंडर कमीशन घोटाला मामले में इडी ने 15 मई को आलमगीर आलम को रांची से गिरफ्तार कर लिया था. उनकी गिरफ्तारी से कुछ दिन पहले ही उनके पीएस संजीव लाल और उनके निजी सहायक जहांगीर आलम के यहां से ईडी को छापामारी में करोड़ों रुपये मिले थे.

मंत्रिमंडल का हो सकता है विस्तार
आलमगीर आलम के इस्तीफा देने के बाद अब मुख्यमंत्री समेत मंत्रिमंडल में कुल 10 मंत्री हैं लेकिन जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार किया जायेगा और आलमगीर आलम की जगह कांग्रेस कोटे से एक नए मंत्री को नियुक्त किया जायेगा. वहीं 12वीं मंत्री के रूप में कल्पना सोरेन का नाम भी नियुक्ति के लिए चर्चा में है. कांग्रेस से दीपिका पांडेय, इरफान अंसारी और अन्य मंत्री इस पद पर नियुक्ति पाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं.

बीजेपी- आलमगीर आलम ने दवाब में दिया इस्तीफा
आलमगीर आलम के त्यागपत्र देने के बाद बीजेपी ने इस बात पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. भाजपा ने कहा है कि आलमगीर आलम को थोड़ी शर्म होने चाहिए. उनके विभाग में 3,000 करोड़ रुपये का टेंडर घोटाला का मामला सामने आया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. लेकिन इतने के बावजूद भी उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. जब भाजपा ने मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें मिल रही सुविधाओं और करदाताओं का पैसा बर्बाद हो रहा है, तब कहीं जाकर उन्होंने दबाव में उन्होंने अपना त्यागपत्र दिया. बीजेपी ने कहा कि अब आलमगीर आलम पूरी तरह से बेनकाब हो गये हैं.

 

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