आजसू पार्टी के प्रतिनिधियों ने राज्य के सभी 81 विधायकों एवं लोकसभा के 14 सांसदों से मुलाकात कर क्षेत्रीय भाषा और नियोजन नीति मामले में सार्थक पहल का आग्रह किया है। झारखंड सरकार द्वारा स्थानीयता, नियोजन नीति एवं क्षेत्रीय भाषा को लेकर लिए गए निर्णय से राज्य के आदिवासी-मूलवासी में आक्रोश व्याप्त है। इसके आलोक में सार्थक पहल करने का आग्रह करते हुए सभी जनप्रतिनिधियों से मिलकर इन विषयों पर उनका मंतव्य जानने की मुहिम शुरू की। यह जानकारी आजसू के केंद्रीय प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने दी।
इसी क्रम में मंगलवार को आजसू पार्टी के प्रतिनिधियों ने कांके विधायक समरीलाल, सिमरिया विधायक किशुन कुमार दास, खिजरी विधायक राजेश कच्छप, झारखंड सरकार की कैबिनेट मंत्री जोबा मांझी, बोरियो के विधायक लोबिन हेम्ब्रम, दुमका के सांसद सुनील सोरेन से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा स्थानीयता, नियोजन नीति एवं भाषा को लेकर लिए गए निर्णय से राज्य के आदिवासी-मूलवासी में आक्रोश है। झारखंडियों के परिचय का आधार खतियान तथा क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा होनी चाहिए, यही जनमत और न्याय संगत है।
उन्होंने कहा कि झारखंडियों की साफ समझ है कि झारखंड अलग राज्य गठन के उद्देश्यों में भाषा, संस्कृति, परंपरा का संरक्षण और संवर्धन भी मुख्य तौर पर शामिल रहा है। झारखंडियों की यह मांग रही है कि सरकार की नीतियों में ऐसा प्रावधान किया जाए कि राज्य/जिला स्तरीय नियुक्तियों में शत प्रतिशत नियुक्ति वैसे लोगों की ही हो, जिनका राज्य/जिला के अंदर अपने या अपने पूर्वजों के नाम जमीन, बासगीत आदि का उल्लेख पिछले सर्वे रिकॉर्ड ऑफ राइटर्स में दर्ज हो।