झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद, सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने अपनी रणनीति को और अधिक मजबूती से लागू करना शुरू कर दिया है. चंपई सोरेन का प्रभाव कम करने के लिए झामुमो के रणनीतिकारों ने एक सधी हुई योजना तैयार की है, ताकि किसी भी प्रकार का संकट उत्पन्न न हो और पार्टी की एकजुटता बनी रहे. दिलचस्प बात यह है कि झामुमो किसी भी स्तर पर चंपई सोरेन के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आक्रमण करने से बच रही है. इसके बजाय, पार्टी आंतरिक रूप से संगठन को मजबूत करने और किसी भी प्रकार की राजनीतिक टूट को रोकने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
झामुमो की सावधानीपूर्ण रणनीति
चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बावजूद, झामुमो के लिए यह राहत की बात है कि पार्टी का कोई भी बड़ा चेहरा उनके साथ नहीं गया. आरंभ में यह कयास लगाए जा रहे थे कि चंपई सोरेन के साथ कुछ अन्य बड़े नेता भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. इसे झामुमो की समय पर उठाए गए कदमों और सावधानीपूर्वक योजना का परिणाम माना जा रहा है. हालांकि, भाजपा ने झामुमो में सेंधमारी करने की कोशिश बड़े पैमाने पर की थी, लेकिन झामुमो ने समय पर कार्रवाई कर अपने संगठन को बिखरने से बचा लिया. इस सफलता का श्रेय झामुमो के नेतृत्व को जाता है, जिसने यह सुनिश्चित किया कि पार्टी के भीतर किसी भी प्रकार की अस्थिरता न हो और संगठन में कोई बड़ी टूट न हो. झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता विनोद पांडेय लगातार इस स्थिति पर नजर रख रहे हैं और पार्टी की रणनीति को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
चंपई सोरेन के गृहक्षेत्र में झामुमो की सक्रियता
चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद, झामुमो ने उनके गृहक्षेत्र सरायकेला में पार्टी को और मजबूत करने के लिए नए सिरे से योजना बनाई है. झामुमो ने कोल्हान प्रमंडल के कई बड़े नेताओं को इस क्षेत्र में तैनात कर दिया है, ताकि संगठन के कमजोर मोर्चों को ठीक किया जा सके और पार्टी का जनाधार बना रहे. इन नेताओं ने क्षेत्र में कैंप कर काम करना शुरू कर दिया है और पार्टी की पकड़ को और मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं. हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली सरकार के कैबिनेट मंत्री रामदास सोरेन, दीपक बिरुवा, सिंहभूम की सांसद जोबा मांझी, और स्थानीय विधायकों को इस काम की जिम्मेदारी दी गई है. ये नेता लगातार क्षेत्र में सक्रिय हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संगठन को मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हाल ही में पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ रांची में बैठक की थी, जिसमें उन्होंने पूरे घटनाक्रम का जायजा लिया और उसी आधार पर रणनीतिकारों को निर्देश दिए. शीर्ष नेतृत्व इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी कर रहा है ताकि झामुमो का संगठनिक ढांचा कमजोर न हो.
चंपई सोरेन का भावनात्मक मुद्दों पर जोर
भाजपा में शामिल होने के बाद से, चंपई सोरेन लगातार भावनात्मक मुद्दों को उठाते आ रहे हैं. विशेष रूप से, वे आदिवासी समाज के स्वशासन व्यवस्था के प्रमुखों को निशाना बना रहे हैं. उन्होंने इस मुद्दे को उठाकर आदिवासी समाज में अपनी पकड़ को बनाए रखने की कोशिश की है. हाल ही में चंपई सोरेन ने संताल परगना का दौरा किया था, जहां उन्होंने आदिवासी स्वशासन के प्रमुखों से मिलकर उनके विचार जाने. झामुमो को इस बात का अच्छी तरह से अहसास है कि आदिवासी स्वशासन व्यवस्था के प्रमुखों की समाज में गहरी पकड़ है. इस कारण पार्टी ने इन प्रमुखों के साथ तालमेल बनाए रखने और उनके साथ संबंध मजबूत करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है. राज्य सरकार ने आदिवासी समाज के इन प्रमुखों के लिए कई योजनाएं लागू की हैं, ताकि उन्हें साथ रखा जा सके और उनके माध्यम से समाज में पार्टी की पकड़ मजबूत की जा सके.