झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल से मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की गई है, जिसका उद्देश्य राज्य में शिक्षा के स्तर को सुधारना है. वर्ष 2025 के लिए इन विद्यालयों में एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इस पहल को लेकर राज्य के अभिभावकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है. मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालयों के पहले चरण में 80 स्कूलों को सीबीएसई पैटर्न पर चलाया जा रहा है, और आने वाले समय में इनकी संख्या बढ़ाकर 4,496 तक पहुंचाने का लक्ष्य है.
मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालयों की विशेषताएं
मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय पूरी तरह से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के पैटर्न पर चलाए जा रहे हैं, जिससे छात्रों को राष्ट्रीय स्तर की गुणवत्ता वाली शिक्षा मिल रही है. इन विद्यालयों में अत्याधुनिक सुविधाएं और बेहतर शैक्षणिक माहौल सुनिश्चित किया गया है. स्कूलों में लैंग्वेज लैब, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, मैथ्स लैब, पुस्तकालय, और स्मार्ट क्लास जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. इसके अलावा, छात्रों के शारीरिक विकास के लिए खेलकूद की भी पूरी व्यवस्था की गई है. शिक्षकों की चयन प्रक्रिया भी बहुत कड़ी है, जिससे सिर्फ योग्य शिक्षक ही बच्चों को पढ़ाने के लिए चयनित किए जाते हैं. इसके साथ ही स्कूलों में अच्छे इंफ्रास्ट्रक्चर का ध्यान रखा गया है, ताकि बच्चों को एक आदर्श शैक्षणिक वातावरण मिल सके.
आवेदन की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालय में एडमिशन के लिए आवेदन प्रक्रिया को ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से आसान बना दिया गया है. अभिभावक और छात्र दोनों ही ऑनलाइन लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. इस वर्ष, एडमिशन के लिए आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि 10 फरवरी, 2025 रखी गई है.
पिछले साल का अनुभव और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
पिछले साल जब इस विद्यालय के लिए एडमिशन प्रक्रिया शुरू की गई थी, तो राज्यभर में अभिभावकों और छात्रों का शानदार प्रतिक्रिया देखने को मिली थी. राज्य भर में इन विद्यालयों में छात्रों का नामांकन तेजी से बढ़ा था. इस साल भी इस पहल के प्रति लोगों में काफी उत्साह है और अभिभावकों ने इन विद्यालयों को अपने बच्चों के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना है.
भविष्य की योजनाएं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का उद्देश्य इस पहल को और भी व्यापक बनाना है. पहले चरण में 80 स्कूलों की सफलता को देखते हुए, सरकार ने आने वाले समय में इन विद्यालयों की संख्या बढ़ाकर 4,496 तक करने का लक्ष्य रखा है. इससे राज्य के हर क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का लाभ मिलेगा और बच्चों का समग्र विकास हो सकेगा.