रांची के बिरसा चौक के पास रविवार को प्रशासन ने एचईसी (हैवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन) की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए लगभग 50 घरों और दुकानों को ध्वस्त कर दिया. इन घरों और दुकानों में वे झोपड़ियां भी शामिल थीं, जिन्हें पहले रेलवे की जमीन से हटाया गया था. अब ये परिवार एचईसी की जमीन पर शरण लिए हुए थे. इस अतिक्रमण हटाओ अभियान ने इन परिवारों को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है. लोग सवाल कर रहे हैं कि अब वे कहां जाएं और अपने सिर पर छत कैसे ढूंढें.
अचानक हुए कार्रवाई से मची अफरा-तफरी
जैसे ही बुलडोजर ने काम शुरू किया, लोगों में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में लोग अपने घरों से सामान निकालने लगे. किसी ने बर्तन उठाए, तो किसी ने गद्दे और जरूरी कागजात. जो कुछ भी बचाया जा सकता था, उसे लेकर लोग बाहर निकलते नजर आए. इस दौरान महिलाओं और बच्चों की स्थिति बेहद दयनीय रही. चार साल की नन्हीं बच्ची निशा और उसकी छोटी बहन परि इस पूरे घटनाक्रम को मासूम नजरों से देखती रहीं. निशा ने अपनी मां से सवाल किया, “मां, अब हम कहां जाएंगे?” निशा की मां लक्ष्मी देवी ने बताया कि उनके पति राजा लोहरा रोज़ की मजदूरी करते हैं और घर से बाहर थे. उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि आज उनकी झोपड़ी उजाड़ दी जाएगी.
लोगों का प्रशासन और सरकार पर आरोप
प्रभावित लोगों ने सरकार पर सीधा आरोप लगाया. लक्ष्मी देवी ने कहा कि कांग्रेस ने वादा किया था कि जब तक एचईसी चलेगी, उसकी जमीन से किसी को नहीं हटाया जाएगा. फिर अब क्या हो गया? उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार हिम्मत दिखाकर राजद प्रदेश कार्यालय को क्यों नहीं हटाती, जो इसी जमीन के नजदीक है.
प्रशासन की सफाई
इस अतिक्रमण हटाओ अभियान का नेतृत्व अरगोड़ा के सीओ सुमन कुमार सौरभ ने किया. उन्होंने बताया कि इससे पहले रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण हटाया गया था. वहां से हटाए गए लोग एचईसी की जमीन पर बस गए. अब एचईसी की जमीन खाली कराई जा रही है. प्रशासन ने इस कार्रवाई के लिए पुलिस बल के 200 जवान तैनात किए और लोगों को पर्याप्त समय दिया गया कि वे अपना सामान हटा लें. एसडीएम रांची के निर्देश पर चलाए गए इस अभियान के दौरान लोगों को बार-बार समझाया गया कि वे शांतिपूर्ण ढंग से अपने घर खाली करें.
इंसानियत और प्रशासन के बीच संघर्ष
अभियान के दौरान कई मार्मिक दृश्य देखने को मिले. फूलमनी नाम की महिला ने चिल्लाकर बुलडोजर रोकने की गुहार लगाई. उसने कहा, “रुको, अंडे टूट जाएंगे, मुझे सामान निकालने दो. उसके आग्रह पर बुलडोजर कुछ देर के लिए रोक दिया गया. जगन्नाथपुर थाना प्रभारी दिग्विजय सिंह ने लोगों से सामान हटाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, “अतिक्रमण हटाने से पहले सभी को पर्याप्त समय दिया गया है. बेहतर है कि आप अपने सामान को बचा लें.
ठंड में खुले आसमान तले रात बिताने की मजबूरी
यह घटना उन परिवारों के लिए बड़ी त्रासदी बन गई है, जिनके पास पहले ही स्थायी घर नहीं थे. इस ठंड के मौसम में अब उनके पास सिर छुपाने की कोई जगह नहीं बची है. दिहाड़ी मजदूर राजा लोहरा की पत्नी ने रोते हुए कहा, “अब बच्चों के साथ कहां जाएंगे? रात में इस ठंड में बच्चों को कैसे बचाएंगे?”
न्याय और पुनर्वास की मांग
प्रभावित लोगों ने सरकार से पुनर्वास की मांग की है. उनका कहना है कि अगर उन्हें हटाया जा रहा है तो उनके लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था की जानी चाहिए. बिना किसी योजना के इस तरह की कार्रवाई से लोगों की मुश्किलें बढ़ जाती हैं.