रांची के मोरहाबादी क्षेत्र में फुटपाथ पर सब्जी और फल बेचने वाले दुकानदारों पर की गई प्रशासनिक कार्रवाई को लेकर देश के केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री और रांची के सांसद संजय सेठ ने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक पत्र लिखकर कड़ी नाराजगी जताई है. उन्होंने इस कार्रवाई को अमानवीय, शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और सरकार से इन दुकानदारों के लिए स्थायी व्यवस्था करने की मांग की है.
फुटपाथ दुकानदारों पर कार्रवाई मानवता के खिलाफ : संजय सेठ
अपने पत्र में संजय सेठ ने लिखा है कि मोरहाबादी मैदान में वर्षों से छोटे-छोटे दुकानदार फल और सब्जियां बेचकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं. अधिकतर दुकानदार ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जो खुद की उपज लाई हुई फसलें, फल और सब्जियां यहां बेचते हैं. ऐसे लोग पूरी तरह इस व्यवसाय पर निर्भर हैं, और इनका जीवन इसी रोजी-रोटी से चलता है. उन्होंने कहा कि दो दिन पहले जो कार्रवाई नगर निगम और पुलिस प्रशासन द्वारा की गई, वह न केवल असंवेदनशील है, बल्कि मानवता को शर्मसार करने वाली भी है. दुकानदारों के फल और सब्जियों को जब्त कर फेंक दिया गया, उनकी दुकानें उजाड़ दी गईं, और उन्हें वहां से बलपूर्वक हटाया गया. यह तरीका पूरी तरह से बर्बरता की श्रेणी में आता है और लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है.
नगर निगम और पुलिस की कार्यशैली पर सवाल
संजय सेठ ने नगर निगम और पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि फुटपाथ दुकानदार कोई अपराधी नहीं हैं, बल्कि मेहनतकश और ईमानदार लोग हैं, जो दिन-रात मेहनत करके अपने बच्चों की पढ़ाई, परिवार की जरूरतें और रोजमर्रा की जिंदगी चला रहे हैं. उनके मुताबिक, सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि ऐसे लोगों को समर्थन दे, न कि उन्हें बेरोजगार और बेघर कर दे. उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई ना केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है.
समाधान की राह दिखाते हुए दिए सुझाव
अपने पत्र में संजय सेठ ने केवल आलोचना नहीं की, बल्कि सरकार को समाधान का रास्ता भी सुझाया है. उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह इन फुटपाथ दुकानदारों के लिए स्थायी व्यवस्था करे. अगर उन्हें एक निश्चित स्थान पर व्यवस्थित तरीके से दुकान लगाने की अनुमति दी जाए, तो इससे न केवल राज्य सरकार को राजस्व की प्राप्ति होगी, बल्कि दुकानदारों को भी स्थिरता और सम्मानजनक रोजगार मिलेगा. उन्होंने सुझाव दिया कि मोरहाबादी क्षेत्र में या आस-पास ही कोई ऐसा स्थान निर्धारित किया जाए, जहां इन लोगों को उचित सुविधाओं के साथ दुकान लगाने की अनुमति मिले. इससे अतिक्रमण की समस्या भी नहीं होगी और दुकानदारों का जीवन भी सुचारू रूप से चलता रहेगा.
गरीबों के प्रति संवेदनशील हो सरकार : संजय सेठ
संजय सेठ ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील करते हुए कहा है कि उन्हें गरीबों और मेहनतकश लोगों के प्रति संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इन फुटपाथ दुकानदारों के बच्चे स्कूल जाते हैं, परिवार बीमार पड़ते हैं, जरूरतें होती हैं, जिनका निर्वाह इसी छोटी-सी दुकान से होता है. ऐसे में यदि सरकार उनके रोजगार के साधन को छीन लेगी, तो यह केवल उनका आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और मानसिक शोषण भी होगा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि मुख्यमंत्री को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और ऐसी अमानवीय कार्रवाई भविष्य में दोबारा ना हो, इसके लिए आवश्यक निर्देश देने चाहिए.
तत्काल स्थायी समाधान की मांग
अंत में संजय सेठ ने मुख्यमंत्री से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि बिना देर किए इस मामले में प्रशासन को निर्देश दें कि वह मोरहाबादी क्षेत्र के दुकानदारों को दोबारा काम पर लौटने दे और साथ ही स्थायी समाधान के लिए ठोस योजना तैयार की जाए. उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड की सरकार को यह समझना होगा कि गरीब और छोटे दुकानदार राज्य की आर्थिक रीढ़ होते हैं. इनके साथ न्याय करना केवल एक राजनीतिक या प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है.