रांची सिविल कोर्ट में आम आदमी बनकर पहुंचे एक्टिंग चीफ जस्टिस, न्यायिक प्रक्रिया का लिया जायजा…..

झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने हाल ही में रांची सिविल कोर्ट का एक अलग ही रूप देखा. वह बिना किसी पूर्व सूचना या सुरक्षा व्यवस्था के, एक आम नागरिक की तरह, सिविल कोर्ट की न्यायिक प्रक्रिया का निरीक्षण करने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने जो अनुभव किया, वह न केवल न्यायिक व्यवस्था में सुधार के संकेत थे, बल्कि एक गंभीर संदेश भी था कि कोर्ट की कार्यवाही समय पर होनी चाहिए और मामलों का त्वरित निपटारा होना चाहिए.

बिना सुरक्षा और पूर्व सूचना पहुंचे कोर्ट

एक्टिंग चीफ जस्टिस ने रांची सिविल कोर्ट का दौरा इसलिए किया ताकि वह वहां की वास्तविक स्थिति का पता लगा सकें. उन्होंने किसी को सूचित नहीं किया था और न ही किसी सुरक्षा गार्ड को साथ लिया. कोर्ट पहुंचकर वह चुपचाप एक अदालत कक्ष में बैठ गए और वहां की कार्यवाही को देखा. इस दौरान उन्होंने पाया कि अदालत में न्यायाधीश और अधिवक्ता समय पर नहीं पहुंचते, और कोर्ट की कार्यवाही भी अनियमित होती है. चीफ जस्टिस ने बताया कि अदालत में जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और कई वरिष्ठ वकील भी मौजूद थे, लेकिन किसी ने उन्हें पहचान नहीं पाया. यह स्पष्ट संकेत था कि वह अपने उद्देश्य में सफल हो गए – यथार्थ स्थिति का निरीक्षण.

शाम 4:30 बजे तक अदालतें खाली

इस निरीक्षण के दौरान चीफ जस्टिस ने यह भी देखा कि रांची सिविल कोर्ट में शाम 4:30 बजे तक अधिकांश अदालत कक्ष खाली हो जाते हैं. उन्होंने बताया कि केवल चार से पांच जज ही 4:30 बजे के बाद भी कार्यरत थे. इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि ज्यादातर जज अपने निर्धारित समय से पहले ही कोर्ट छोड़ देते हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित होती है. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में सुधार की जरूरत है और सभी जजों को अपने निर्धारित समय तक कोर्ट में उपस्थित रहना चाहिए. इसके अलावा, न्यायिक मामलों का त्वरित निष्पादन भी अनिवार्य है ताकि लंबित मामलों की संख्या को कम किया जा सके.

जनहित याचिका की सुनवाई में दिए सख्त निर्देश

इस पूरी घटना का उल्लेख एक्टिंग चीफ जस्टिस ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान किया. उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि हाईकोर्ट और सिविल कोर्ट के जजों को समय पर कोर्ट में उपस्थित रहना चाहिए और तेजी से मामलों का निपटारा करना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि न्यायिक प्रक्रिया में देरी न केवल मामलों को लंबा खींचती है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है.

महाधिवक्ता से भी कहा – वरिष्ठ अधिवक्ता रहें उपस्थित

सिर्फ जजों को ही नहीं, एक्टिंग चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार के अधिवक्ताओं के कामकाज पर भी सवाल उठाए. जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उन्होंने झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन से कहा कि कई महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ताओं की जगह जूनियर अधिवक्ता पेश हो जाते हैं. इन अधिवक्ताओं के पास पर्याप्त अनुभव या मामलों की समुचित जानकारी न होने के कारण उन्हें अक्सर अदालत की नाराजगी का सामना करना पड़ता है. चीफ जस्टिस ने महाधिवक्ता को निर्देश दिया कि राज्य सरकार सुनिश्चित करे कि महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के समय वरिष्ठ अधिवक्ता ही अदालत में उपस्थित रहें. इससे न केवल न्यायिक प्रक्रिया की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि राज्य सरकार के पक्ष को सही ढंग से प्रस्तुत किया जा सकेगा.

सुधार की आवश्यकता

यह दौरा और निरीक्षण चीफ जस्टिस का एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य न्यायिक प्रक्रिया को सुचारू और त्वरित बनाना था. कोर्ट की कार्यवाही में अनुशासन और समय की पाबंदी का पालन होना चाहिए ताकि न्यायालय की प्रतिष्ठा बनी रहे और मामलों का निपटारा तेजी से हो सके. झारखंड हाईकोर्ट के इस कदम से न केवल राज्य की न्यायिक प्रणाली में सुधार की उम्मीद है, बल्कि इस कदम से अन्य न्यायिक संस्थाओं को भी सीखने का अवसर मिलेगा. न्यायिक प्रक्रिया की इस तरह की निगरानी और अनुशासन से आम जनता का न्याय प्रणाली पर विश्वास मजबूत होगा और न्यायिक प्रणाली की कार्यक्षमता भी बेहतर होगी.

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