झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी अबुआ आवास योजना अपने तय लक्ष्यों से कोसों दूर है. गरीबों को पक्का मकान उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष 2023-24 में शुरू की गई इस योजना के तहत अभी तक एक भी मकान पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुआ है. पहले चरण में 1,99,715 आवास बनाए जाने थे, लेकिन केवल 1,323 मकानों की छत तक की ढलाई ही पूरी हो पाई है. लाभुकों को मिलने वाली अंतिम किस्त जारी न होने के कारण मकानों का निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है. ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों की लापरवाही और प्रशासनिक ढिलाई ने इस योजना की प्रगति को बाधित कर दिया है.
योजना का उद्देश्य और वर्तमान स्थिति
अबुआ आवास योजना के तहत गरीब परिवारों को तीन कमरों का पक्का मकान उपलब्ध कराना है. प्रत्येक मकान का क्षेत्रफल 31 वर्गमीटर निर्धारित है. इस योजना में लाभुकों के खातों में चार किस्तों में कुल दो लाख रुपये की राशि दी जाती है. मकान निर्माण का काम एक साल के भीतर पूरा होना था, लेकिन ग्रामीण विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, पहले चरण में स्वीकृत 1,99,715 मकानों में से केवल 1,323 मकान छत की ढलाई तक ही पहुंच सके हैं. योजना के तहत, पहले चरण में 1,93,518 लाभुकों को पहली किस्त, 1,51,443 को दूसरी किस्त, और 48,801 लाभुकों को तीसरी किस्त मिल चुकी है. लेकिन किसी भी लाभुक को चौथी और अंतिम किस्त नहीं मिली है, जिसके कारण मकानों का रंग-रोगन और अन्य कार्य अधूरे रह गए हैं.
योजना में बाधाएं और प्रशासनिक जवाबदेही
ग्रामीण विकास विभाग ने इस देरी के लिए बालू की किल्लत, लोकसभा और विधानसभा चुनाव जैसी वजहों को जिम्मेदार ठहराया है. हालांकि, सरकार ने निर्माण कार्य में बाधा न आए, इसके लिए मुफ्त बालू उपलब्ध कराने की व्यवस्था की थी. बावजूद इसके, मकान निर्माण का कार्य समय पर पूरा नहीं हो सका.
आंकड़ों पर नजर डालें तो सभी 24 जिलों में मकान निर्माण की स्थिति चिंताजनक है. उदाहरण के लिए:
• रांची जिले में 13,226 मकानों में से केवल 28 मकानों की छत ढाली गई.
• खूंटी में 3,887 मकानों में से 225 मकानों की छत तैयार हुई.
• देवघर में 9,847 मकानों में से 135 मकानों की छत बन पाई.
• गिरीडीह में 17,860 मकानों में से 58 मकानों का कार्य छत तक पहुंच सका.
कई जिलों में स्थिति और भी खराब है. लोहरदगा में 3,228 और जामताड़ा में 5,711 मकानों का निर्माण शुरू होने के बावजूद कोई भी छत तक नहीं पहुंचा.
दूसरे चरण की स्थिति और अधिक खराब
अबुआ आवास योजना का दूसरा चरण, जो वित्तीय वर्ष 2024-25 में शुरू हुआ, पहले चरण से भी अधिक धीमी गति से चल रहा है. इस चरण में 4.5 लाख मकानों का निर्माण लक्ष्य रखा गया था, लेकिन केवल 2,91,560 मकानों को ही स्वीकृति मिल सकी है. इनमें से भी मात्र 1,28,985 लाभुकों को पहली किस्त प्राप्त हुई है. शेष 1,62,575 लाभुकों ने अब तक मकान बनाने का काम शुरू ही नहीं किया है. मार्च 2025 तक दूसरा चरण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह समय सीमा भी पूरी होती नजर नहीं आ रही.
योजना की चुनौतियां और आवश्यक कदम
झारखंड सरकार ने वर्ष 2026 तक कुल 8 लाख मकान बनाने का लक्ष्य रखा है. योजना के तहत:
• पहले वर्ष में 2 लाख मकान,
• दूसरे वर्ष में 3.5 लाख मकान, और
• तीसरे वर्ष में 2.5 लाख मकानों का निर्माण करना था.
लेकिन जिस रफ्तार से काम चल रहा है, इस महत्वाकांक्षी योजना का लक्ष्य पूरा करना कठिन लगता है. लाभुकों को समय पर किस्तें न मिलना, निर्माण सामग्री की अनुपलब्धता, और प्रशासनिक लापरवाही जैसी समस्याएं इस योजना को विफल बना रही हैं.
समस्याओं का समाधान
• वित्तीय अनुशासन: लाभुकों को अंतिम किस्त समय पर जारी की जाए, ताकि निर्माण कार्य पूरा हो सके.
• सामग्री की उपलब्धता: बालू और अन्य निर्माण सामग्री की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं.
• प्रशासनिक जवाबदेही: अधिकारियों की लापरवाही के लिए सख्त कार्रवाई की जाए और कार्य में तेजी लाई जाए.
• स्थानीय निगरानी समिति: प्रत्येक जिले में योजना की प्रगति की निगरानी के लिए स्थानीय समितियां बनाई जाएं.