झारखंड के सीमावर्ती इलाकों में बांग्लादेशी घुसपैठ का मामला एक बार फिर चर्चा में है. मतदाता सूची, जन्म प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों में हेराफेरी के बाद अब आधार कार्ड बनाने में गड़बड़ी के मामले सामने आ रहे हैं. राज्य के साहिबगंज, पाकुड़ और अन्य जिलों में अनुमानित जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड बनाए गए हैं.
जांच में मिले चौंकाने वाले तथ्य
झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने इस मुद्दे की जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि कई जिलों में आधार कार्ड बनाने के आंकड़े उनकी जनसंख्या से अधिक हैं.
• लोहरदगा में जनसंख्या 5,58,849 है, जबकि 6,08,111 आधार कार्ड बनाए गए.
• गढ़वा में 16,00,807 की जनसंख्या पर 16,20,376 आधार कार्ड बनाए गए.
• लातेहार में 8,79,774 जनसंख्या के मुकाबले 9,04,150 आधार कार्ड बनाए गए.
मतदाता सूची में अनियमितताएं
पहले भी मतदाता सूचियों में गड़बड़ी की शिकायतें सामने आई थीं. जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए:
दुमका में एक महिला तौफुल बीबी के नाम पर आठ बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र थे, और उनकी जन्मतिथि भी एक ही थी.
• कई स्थानों पर पिता से अधिक पुत्र की उम्र दर्ज की गई थी.
• मतदाताओं की संख्या में 150% तक वृद्धि पाई गई थी, जिससे घुसपैठ की आशंका और बढ़ गई.
घुसपैठ का प्रमाण और खुफिया रिपोर्ट
झारखंड हाई कोर्ट के निर्देश पर खुफिया एजेंसियां पिछले सप्ताह साहिबगंज पहुंचीं. 15 से 18 दिसंबर तक चली जांच में उन्होंने बांग्लादेशी घुसपैठ से जुड़े कई सबूत इकट्ठा किए.
• जन्म प्रमाण पत्र और मतदाता पहचान पत्र बनवाने में हेरफेर के मामले मिले.
• यूआईडीएआई के आंकड़े बताते हैं कि राज्य के पांच जिलों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड बनाए गए हैं.
जनप्रतिनिधियों का बयान
राजमहल के पूर्व विधायक अनंत ओझा ने कहा, “यह मामला बहुत गंभीर है. आधार को भले ही नागरिकता का प्रमाण न माना जाए, लेकिन घुसपैठियों की उपस्थिति के ये पक्के सबूत हैं. सरकार इस पर मौन है. पूर्व विधायक ने विधानसभा में फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों का मुद्दा उठाया था. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सीआईडी जांच का आश्वासन दिया, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया है.
प्रशासन की विफलता और घुसपैठ का खतरा
साहिबगंज और पाकुड़ जैसे सीमावर्ती जिलों में घुसपैठियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. फर्जी दस्तावेजों के जरिए ये लोग न केवल नागरिकता का दावा कर रहे हैं, बल्कि मतदाता सूची में भी शामिल हो रहे हैं. इस तरह के मामलों से राज्य की सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रणाली को खतरा हो सकता है.
आधार कार्ड का दुरुपयोग
आधार कार्ड का इस्तेमाल पहचान प्रमाण के रूप में किया जाता है. लेकिन झारखंड में आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया में गड़बड़ी के कारण इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं.
• घुसपैठ की आशंका वाले इलाकों में नियमों की अनदेखी की गई.
• गलत तरीके से प्रमाण पत्र बनवाने की शिकायतें बार-बार सामने आ रही हैं.
सरकार की निष्क्रियता
विपक्ष का कहना है कि सरकार इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं दे रही है. झारखंड में घुसपैठ का मुद्दा नया नहीं है, लेकिन अब आधार कार्ड के जरिए इसे और बढ़ावा दिया जा रहा है. राज्य सरकार को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.