19 अगस्त यानि आज रक्षा बंधन का पर्व है, जो भाई-बहन के बीच प्यार और सुरक्षा के बंधन का प्रतीक है. इस दिन हर भाई अपनी बहन की रक्षा की कसम खाता है, लेकिन राजधानी रांची में बहनों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के मामले चिंता का विषय बन गए हैं. रांची में महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसक घटनाएं, विशेषकर दुष्कर्म, लगातार बढ़ रही हैं. यह स्थिति न केवल चिंता का विषय है, बल्कि पूरे समाज के लिए गंभीर विचार का मुद्दा भी है. राज्य में दुष्कर्म के मामलों में रांची सबसे ऊपर है. औसतन, हर महीने रांची में दुष्कर्म की 20 घटनाएं हो रही हैं. गिरिडीह जिला भी इस सूची में दूसरे स्थान पर है, जहां महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ी है.
दुष्कर्म के मामले: भयावह स्थिति
साल 2022 में, रांची में 190 महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाएं दर्ज की गई थीं. अगले साल, 2023 में, यह आंकड़ा बढ़कर 232 हो गया, यानी लगभग 22 प्रतिशत की वृद्धि. इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि 2024 में, केवल जून तक ही रांची में 113 दुष्कर्म की घटनाएं हो चुकी हैं. यह स्थिति पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती है और समाज के लिए एक पीड़ा का विषय है कि महिलाओं की सुरक्षा के प्रति इतनी लापरवाही क्यों हो रही है. गिरिडीह, गढ़वा, और पूर्वी सिंहभूम जैसे जिलों में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है. गिरिडीह में, जनवरी से जून 2024 के बीच दुष्कर्म की 78 घटनाएं हुईं. वहीं, गढ़वा और पूर्वी सिंहभूम में भी 22 और 28 घटनाएं दर्ज की गईं. ये आंकड़े केवल एक संकेत हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए हमें गंभीर प्रयास करने की आवश्यकता है.
महिलाओं की सुरक्षा पर पुलिस की प्राथमिकता
राज्य के डीजीपी, अनुराग गुप्ता ने पुलिस के अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि महिलाओं की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. उन्होंने सभी जिलों के एसएसपी और एसपी को निर्देशित किया है कि वे लोगों के साथ अच्छा व्यवहार करें, उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान करें, और विशेष रूप से महिलाओं, बुजुर्गों और कमजोर वर्गों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं. लेकिन केवल निर्देश देने से समस्या का समाधान नहीं होगा. समाज के सभी वर्गों को मिलकर इस दिशा में काम करना होगा. हमें महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक जागरूकता, कानून के कड़ाई से पालन, और पुलिस के त्वरित एक्शन की जरूरत है.
दहेज हत्या और डायन प्रथा की समस्या
रांची में दहेज हत्या और डायन प्रथा के मामलों में भी वृद्धि देखने को मिल रही है. पिछले साल 2023 में, रांची में दहेज के नाम पर 9 महिलाओं की हत्या हुई थी. 2024 के केवल छह महीनों में ही यह आंकड़ा बराबर हो गया है. डायन प्रथा के नाम पर भी रांची में दो महिलाओं की हत्या हुई थी. हमारी सोच और समाज के नियम भले ही 21वीं सदी में पहुंच गए हों, लेकिन दहेज हत्या और डायन प्रथा जैसी कुप्रथाएं आज भी हमारे समाज पर हावी हैं.
अशिक्षा और निम्न सामाजिक स्तर: महिलाओं के खिलाफ हिंसा की जड़
झारखंड एक पिछड़ा राज्य है, और यहां की महिलाओं का जीवन स्तर भी कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. आर्थिक गतिविधियों में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, लेकिन अशिक्षा और निम्न सामाजिक स्तर के कारण महिलाओं के प्रति हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं. राज्य में महिला थाना, महिला कोषांग, महिला हेल्पलाइन, और ईव टीजिंग सेल जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन फिर भी इन घटनाओं में कमी नहीं आ रही है. यह सवाल उठता है कि आखिरकार हम कहां चूक कर रहे हैं? महिला हिंसा मामलों के लिए काउंसलर संध्या रानी साहा का मानना है कि यह समस्या सिर्फ कानूनी और प्रशासनिक उपायों से हल नहीं हो सकती. समाज को भी अपनी भूमिका निभानी होगी. महिलाओं की शिक्षा, उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार, और उनके अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाने से ही इस समस्या का समाधान हो सकता है.