झारखंड सरकार ने अधिग्रहित भूमि के उपयोग को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाने का फैसला किया है. यदि अधिग्रहित भूमि का पांच वर्षों तक कोई उपयोग नहीं किया जाता है, तो उसे मूल स्वामी को वापस लौटाने के लिए एक आयोग गठित करने की योजना बनाई जा रही है. इस दिशा में सरकार ने विधानसभा के बजट सत्र में पेश एक्शन टेकन रिपोर्ट (एटीआर) में जानकारी दी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस पहल को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं, जिससे उन किसानों और जमीन मालिकों को राहत मिलेगी, जिनकी भूमि वर्षों से बिना उपयोग अधिग्रहित पड़ी हुई है.
विधानसभा में पेश हुई एटीआर
सोमवार को विधानसभा में राज्य के वित्त सह संसदीय कार्य मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने एटीआर पेश की. इसमें सरकार द्वारा किए गए पांच प्रमुख आश्वासनों पर हुई कार्रवाई का जिक्र किया गया. सदन में विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से सवाल किया था कि क्या अधिग्रहित भूमि का उपयोग नहीं होने पर उसे मूल मालिकों को वापस किया जाएगा? इसके जवाब में सरकार ने स्पष्ट किया कि मौजूदा नियमों के अनुसार, अधिग्रहित भूमि का पांच साल के भीतर उसी उद्देश्य के लिए उपयोग किया जाना आवश्यक है, जिसके लिए उसे अधिग्रहित किया गया था.
नए आयोग का गठन
सरकार अब इस दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रही है और अधिग्रहित भूमि को लौटाने के लिए एक आयोग गठित करने की योजना बना रही है. यह आयोग यह सुनिश्चित करेगा कि अधिग्रहित भूमि का समय पर उपयोग हो और यदि ऐसा नहीं होता, तो उसे मूल स्वामी को वापस कर दिया जाए.
शिक्षा भत्ता पर वित्तीय संकट
विधानसभा में राज्य सरकार के कर्मचारियों के बच्चों को शिक्षा भत्ता नहीं मिलने का मुद्दा भी उठा. सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों को 2,250 रुपये प्रति माह शिक्षा भत्ता दिया जाना था, लेकिन सरकार ने अब तक इसे लागू नहीं किया है. एटीआर में सरकार ने स्पष्ट किया कि विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के कारण राज्य पर वित्तीय बोझ बढ़ गया है. इस वजह से शिक्षा भत्ता देना संभव नहीं हो पाया है. हालांकि, सरकार ने संकेत दिया कि भविष्य में आर्थिक स्थिति में सुधार होने पर इस पर पुनर्विचार किया जाएगा.
जल प्रबंधन के लिए बनेगा जल आयोग
झारखंड सरकार जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और सूखे की स्थिति से निपटने के लिए पहली बार जल आयोग बनाने की तैयारी कर रही है. एटीआर में बताया गया कि जल आयोग के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द ही स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. जल आयोग के गठन का मुख्य उद्देश्य राज्य में जल संकट को दूर करना और जल संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए नीति बनाना होगा. इस आयोग के माध्यम से झारखंड में जल प्रबंधन को मजबूत करने की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे.
सरकार के फैसले से किसानों और कर्मचारियों को राहत की उम्मीद
झारखंड सरकार के ये फैसले अधिग्रहित भूमि के मालिकों, सरकारी कर्मचारियों और जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माने जा रहे हैं. जहां एक ओर अधिग्रहित भूमि को मूल स्वामी को लौटाने की योजना से किसानों को राहत मिल सकती है, वहीं जल आयोग के गठन से जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी. हालांकि, शिक्षा भत्ते को लेकर सरकार की स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है और कर्मचारियों को इसके लिए इंतजार करना पड़ सकता है. अब देखना यह होगा कि सरकार इन फैसलों को कितनी जल्दी और प्रभावी तरीके से लागू कर पाती है.