झारखंड में मिला पहला टंगस्टन भंडार, जानें इससे राज्य को क्या होगा फायदा..

तोप और मिसाइल से लेकर अन्य रक्षा उपकरणों के निर्माण में उपयोग में आने वाले टंगस्टन का भंडार झारखंड में मिला है. गढ़वा जिले के सलतुआ इलाके में इसके मिलने की खबर आयी है. जिसकी सूचना भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) ने केंद्र सरकार को दी है.

आपको बता दें कि झारखंड में यह पहली खान होगी जहां टंगस्टन मिला है. जबकि, देश में यह खान दूसरे स्थान पर होगी. पहली खान राजस्थान के नागौर जिले में मौजूद है जो फिलहाल दो साल से बंद है. उम्मीद लगाई जा रही है कि केंद्र की अनुमति मिलते ही यहां पर भी कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

क्या होगा झारखंड को फायदा..

  1. भारत को बाहर से टंगस्टन का आयात करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. देश में फिलहाल सौ फीसदी आयात किया जा रहा है.
  2. भारत को टंगस्टन के लिए चीन पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. जिससे भारत चीन को मुहंतोड़ जबाव दे सकता है.
  3. भारत के रक्षा उद्योग को बड़ी सहायता प्रदान कर सकता है झारखंड का यह टंगस्टन खदान
  4. इससे आधारित उद्योग झारखंड में चालू किए जा सकते है
  5. इस खद्यान को अनुमति मिलने के बाद स्थानीय युवाओं को अच्छा खासा रोजगार मिल सकता है
  6. राज्य के राजस्व से लेकर देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है यह खद्यान

क्या-क्या होता है इससे निर्माण..

  • इस धातु से बल्ब के फिलामेंट्स
  • इंजीनियरिंग उद्योगों में उपयोग में आने वाली सामग्री
  • काटने के औजार
  • शल्यचिकित्सा के यंत्र
  • सुरक्षा उपकरण, एयरक्राफट के पूर्जे आदि बनाए जा सकते हैं.

इसके अलावा इन मिश्रधातुओं से एक्सरे के उपकरण, थर्मायनिक वल्ब और बिजली के जोड़ आदि में उपयोग में आने वाले मैटेरियल आदि बनाया जा सकता है.

क्यों है खास..
दरअसल, टंगस्टन मिश्रित इस्पात से बने उपकरण बेहद कठोर, टिकाऊ तथा न घिसनेवाले होते हैं. ये कम भारी लेकिन मजबूत होते है जिसके कारण इसका उपयोग एयक्राफट में होता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

×