झारखंड के दुमका स्थित जरमुंडी प्रखंड के शिक्षक सपन कुमार के कोविड काल में बच्चों को पढ़ाने के मॉडल को अब विदेशों में भी सराहा जा रहा है. सोशल मीडिया के साथ टीवी चैनल पर भी इसका प्रसारण हुआ है. चीन के टीवी चैनल सीसीटीवी 17 ने इसका प्रसारण किया. जिसमें यह कहा गया है कि कोविड 19 के संक्रमण काल में जब स्कूल बंद हैं, तो ऐसे में कैसे भारत के झारखंड राज्य के एक शिक्षक ने बच्चों की पढ़ाई को लेकर नया तरीका अपनाया. ग्रामीण क्षेत्र में बच्चों की पढ़ाई के लिए यह बेहतर तरीका है. चैनल ने शिक्षक और बच्चों का वीडियो फुटेज भी प्रसारित किया है. बच्चों ने बताया है कि पढ़ाई के इस माध्यम से उन्हें कैसे पढ़ाई में सुविधा हुई. चीन के साथ-साथ कनाडा और अर्जेंटीना जैसे देशों में भी इसकी चर्चा है.
क्या है टीचिंग मॉडल?
सपन कुमार उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर के शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष मार्च में विद्यालय बंद होने के बाद बच्चों की पढ़ाई बंद हो गयी. इसके बाद वह इस पर विचार करने लगे कि कैसे कोविड से बचाव के दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए बच्चों को पढ़ाया जाये. इसके लिए उन्होंने ग्रामीणों से भी बात की. गांव में एक घर की दीवार पर साेशल डिस्टैंसिंग का अनुपालन करते हुए बच्चों के लिए अलग-अलग ब्लैक बोर्ड बना दिया. एक प्वाइंट पर लगभग 50 बच्चों के बैठने की व्यवस्था की गयी. सभी बच्चों तक उनकी आवाज पहुंच सके, इसके लिए छोटे लाउडस्पीकर की मदद ली. ब्लैक बोर्ड पुआल की राख, गोबर और मिट्टी से बनाया. आज चार जगहों पर यह प्वाइंट संचालित है. सपन कुमार की नियुक्ति वर्ष 2015 में हुई है. पिछले पांच वर्ष में उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय के विकास के लिए काफी काम किया है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय डुमरथर आज सरकार की रैकिंग में फोर स्टार विद्यालय है.
प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कर चुके हैं तारीफ..
लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई को लेकर सपन कुमार द्वारा किये गये प्रयास की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन तक कर चुके हैं. प्रधानमंत्री ने अपने मन की बात में सपन पत्रलेख के पढ़ाई के मॉडल की तारीफ की थी.