रांची के बाद अब जमशेदपुर में फर्जी तरीके से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र..

साइबर ठगों के निशाने पर राज्य के सरकारी अस्पताल हैं। अब जमशेदपुर में भी फर्जी तरीके से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का खुलासा हुआ है। जमशेदपुर में अब तक ऐसे 79 मामले पकड़े गए हैं। साइबर अपराधियों ने एमजीएम हॉस्पिटल के उपाधीक्षक सह जन्म-मृत्यु के उप निबंधक डाॅ नारायण उरांव की आईडी-पासवर्ड हैक कर 74 जन्मप्रमाण पत्र और 5 मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए हैं। डॉ उरांव ने जिला सांख्यिकी विभाग द्वारा किए गए क्रॉस चेकिंग के दौरान ऑनलाइन जारी किए गए प्रमाण पत्र की संख्या के आधार पर गड़बड़ी पकड़ी। इसके बाद उन्होंने साकची थाने में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई है। साथ ही जिला सांख्यिकी पदाधिकारी काे बनाए गए फर्जी प्रमाण पत्राें की सूची सौंपते हुए आगे की कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

14 अगस्त को यह मामला पकड़ में आया। एमजीएम हॉस्पिटल के उपाधीक्षक डाॅ नारायण उरांव के अनुसार, जिला सांख्यिकी विभाग की ओर से जब उनके (डॉ उरांव) द्वारा निर्गत प्रमाण पत्रों की जानकारी दी गई तो उन्होंने अपने यूजर आईडी पर लॉग-इन कर जारी किए गए प्रमाण पत्रों की जांच की। इसमें जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्रों के सीरियल नंबर में अंतर पाया। जांच में पाया- जितने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र डॉ उरांव ने जारी किए, उससे अधिक सीरियल नंबर दिख रहे हैं। उन्होंने इसकी सूचना जिला सांख्यिकी पदाधिकारी (डीएसओ) को देते हुए अपना यूजर आईडी और पासवर्ड हैक करने की बात कही। साथ ही फर्जीवाड़ा होने की पुष्टि की।

एमजीएम हॉस्पिटल से ऐसे फर्जीवाड़े का पता चलने के बाद अब सदर हॉस्पिटल, जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति, मानगो नगर निगम और जुगसलाई नगरपालिका से भी फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किए जाने की आशंका जताई जा रही है। रांची के बाद अब जमशेदपुर में हैकिंग कर फर्जी तरीके से जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र जारी होने का खुलासा होने के बाद राज्य स्तर पर इसकी क्रॉस चेकिंग किया जा रहा है।

रांची में सदर अस्पताल उपाधीक्षक की आईडी से बने थे 29 फर्जी प्रमाण पत्र..
साइबर अपराधी केंद्र सरकार द्वारा विकसित सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पोर्टल में सेंधमारी कर फर्जी जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बना रहे हैं। साइबर अपराधियों ने रांची में सदर हॉस्पिटल के उपाधीक्षक सह जन्म-मृत्यु के उप निबंधक सव्यसाची मंडल की आईडी और पासवर्ड हैक कर 22 जन्म प्रमाण पत्र और 7 मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए थे। सव्यसाची मंडल ने ऑनलाइन जारी किए गए प्रमाण पत्र की संख्या के आधार पर गड़बड़ी पकड़ी थी। इसके बाद उन्होंने स्थानीय लाेअर बाजार थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

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