पश्चिमी सिंहभूम जिला के मंझारी थाना के दोकट्टा गांव के टोला गोरेयाबासा में शुक्रवार को फौजी मनोहर कुंकल का पार्थिव शरीर आते ही मातम पसर गया। पूरे गांव के लोग पार्थिव शरीर को देखकर रो पड़े। गांव की जिन गलियों में कभी वह देश सेवा का जज्बा लिए घूमता था, उन्हीं गलियों से जब फौजी का पार्थिव शरीर गुजरा तो जैसे पूरा गांव ही सिसक उठा। तिरंगे में लिपटे फौजी के शव को लेकर आर्मी के जवानों के पहुंचते ही, उनके घर पर जुटे सैकड़ों ग्रामीण भारत माता की जय के नारे लगाने लगे। जहां शव के साथ आए सैनिकों द्वारा सलामी देने के बाद सेना के सम्मान के साथ फौजी का अंतिम संस्कार किया गया, वहां मौजूद हर किसी की आंखें नम हो गईं। जम्मू कश्मीर की अमरनाथ गुफा में तैनात आर्मी मेहर रेजिमेंट के हवलदार मनोहर कुंकल की 23 अगस्त को ड्यूटी के दौरान ही हृदय गति रुकने से मौत हो गई थी। शुक्रवार को उनका पार्थिव शरीर मंझारी स्थित उनके पैतृक गांव दोकट्टा गांव के टोला गोरेयाबासा लाया गया। मनोहर का शव गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया। दोनों पत्नियां पहली सुनीता कुंकल व दूसरी पत्नी शोभा कुंकल रो-रोकर बदहवास हो गईं। दूसरी पत्नी शोभा कुंकल बार-बार बेहोश हो रही थी। उसे संभालने के लिए महिला पुलिस मोर्चा संभाली हुई थी। वहीं, आसपास के कई गांवों से लोग फौजी को अंतिम विदाई देने उमड़ पड़े। आर्मी जवानों ने परिजनों से मिलकर कागजी कार्रवाई पूरी करते हुए शव को सौंप दिया। इसके बाद अंतिम यात्रा की तैयारी की गई। वहीं, साथ आए जवानों ने सलामी देते हुए मनोहर को विदाई दिलाई। उनका अंतिम संस्कार उनके साथ आए भारतीय सैनिकों द्वारा गार्ड आफ ऑनर देने के बाद किया गया। सैनिकों की सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ग्रामीणों ने आदिवासी हो पारंपरिक रीति-रिवाज के अनुसार शव को घर के आंगन में ही दफनाया गया।
मनोहर कुंकल अपने पीछे दो पत्नियां समेत एक बेटा और बेटी को छोड़कर चले गए। बेटा मोहित कुंकल व बेटी माही कुंकल उसकी मां यानी मनोहर की दूसरी पत्नी शोभा कुंकल के साथ जमशेदपुर में रहते हैं। बेटा मोहित बेलडीह चर्च में बारहवीं कक्षा में साइंस लेकर पढ़ाई कर रहा है जबकि बेटी माही कुंकल भी बेलडीह चर्च में ही सातवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है।