विश्व आदिवासी दिवस : मांदर की थाप पर थिरके गोस्सनर कॉलेज के विद्यार्थी..

रांची : गोस्सनर कॉलेज के मास कम्युनिकेशन एंड वीडियो प्रोडक्शन विभाग द्वारा सेमिनार हॉल में आज ‘आदिवासी दिवस’ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रो० पूजा उरांव द्वारा आदिवासी दिवस के महत्व को बताते हुए की गई। उन्होंने बताया कि आदिवासी दिवस क्यों मनाया जाता है और साथ इस दिन के महत्व को भी बताया। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए सेमेस्टर वन के छात्र मनीष एक्का ने एक संगीत प्रस्तुत किया जिसके बोल थे ‘झुमर’। इसके पश्चात संस्कृत विभाग से डाॅ. ज्योति टोप्पो ने ‘आदिवासी जंगल में निवास करना पसंद क्यों करते हैं ‘ इसके बारे में बताया, साथ ही उनके प्राकृतिक प्रेम को भी बताया।

वहीं डाॅ० मृदुला खेस ने बताया कि आदिवासियों को देव दृष्टि के नजरिए से देखा जाता है। साथ ही बताया गया कि कैसे आदिवासी दिवस की शुरुआत की गई तथा आदिवासी संस्कृति, परंपरा, त्यौहार आदि की महत्ता के बारे में भी बताया गया।

कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए विद्यार्थियों ने ‘संथाली समाज अपने अतिथि का कैसे स्वागत करते हैं’ कला नृत्य के माध्यम से समझाया। पत्ते से बनाए जाने वाले ‘दोना’ का इस्तेमाल खत्म होते जा रहा है एवं अब प्लास्टिक प्लेट उनकी जगह ले रहे हैं, इस विषय को नाटक के माध्यम से समझाया। झारखंड की सुंदरता पर नृत्य प्रस्तुत किया गया तथा सरहुल के महत्व को समझाया। साथ हीं आकीम कलाम द्वारा ‘हाई-पासे’ नामक मुंडारी फिल्म का प्रदर्शन किया गया। ‘हाई-पासे’ झारखंड की पहली मुंडारी फिल्म है। जो कि अब तक कई अवार्ड जीत चुकी है।

इसके पश्चात अंग्रेजी विभागाध्यक्षा डाॅ. ईवा हांसदा ने भाषा के महत्व बताया तथा विलुप्त हो रहे विरभोर, असुर जनजाति की कैसे भाषा लुप्त हो रही है उसके महत्व को बतायीं।

इस मौके पर काॅलेज की प्राचार्या डाॅ. ईलानी पूर्ति , वर्सर प्रो. आशा रानी केरकेट्टा , जनसंचार विभाग से प्रो० महिमा गोल्डन बिलुंग, प्रो० पूजा उरांव, प्रो० निवेदिता डांग, प्रो० अनुज कुमार, प्रो. अनुराग पूर्ति, प्रो० संतोष कुमार, मुंडारी विभाग से प्रो० मीना सूरीन, संस्कृत विभाग की प्रो० ज्योति सूरीन, जूलॉजी विभाग से मृदुला खेस, साइकोलॉजी डिपार्टमेंट से प्रियंका सूरीन, कॉमर्स विभाग से प्रो० आकांक्षा तिगा सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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