अस्पतालों में मानव हित के काम होते हैं लेकिन रांची के बरियातू में स्थित हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के लोग शायद मानवता ही भूल चुके हैं। यहां पैसों के लिए 16 घंटे तक बच्चे के शव को बंधक बनाकर रखा गया। बाद में अस्पताल प्रबंधन को 25 हजार रुपये दिए गए, तब जाकर परिवार वालों को शव को सौंपा गया। दरअसल, पलामू जिले के उपरीकला निवासी अर्जुन मेहता के आठ वर्षीय बेटे अभय को उसके गांव में बाइक सवार ने धक्का मार दिया था। सड़क हादसे में अभय बुरी तरह घायल हो गया।
अभय के परिवार वाले उसे बेहतर इलाज के लिए रांची के बरियातू स्थित हेल्थ प्वाइंट अस्पताल पहुंचे। यहां उसे छह अप्रैल को भर्ती किया गया। इलाज के नाम पर हेल्थ प्वाइंट अस्पताल प्रबंधन ने 80 हजार रुपये जमा करने के लिए कहा। परिवार वालों ने किसी तरह अपने सगे संबंधियों से 80 हजार रुपये का इंतजाम कर पैसे का भुगतान भी कर दिया। इस बीच इलाज के दौरान शुक्रवार को अभय की मौत हो गई। इसके बाद हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के कर्मचारियों ने 87 हजार रुपये के भुगतान के बाद ही शव देने की बात कही।
अभय के चाचा शंकर मेहता ने बताया कि गुरुवार को शाम चार बजे वो बच्चे को देखने गए थे। बच्चे के शरीर में मूवमेंट था। अस्पताल की नर्स ने एबीजी ब्लड टेस्ट के नाम पर बिल करवाया। रात 8:00 बजे फिर बच्चे को देखने गया। लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। जबकि अस्पताल प्रबंधन शुक्रवार की देर रात 1:30 बजे मौत होने की बात करते हुए 87 हजार रुपये का भुगतान करने के बाद शव देने की बात करने लगा।
चार यूनिट दिया था खून, नहीं हुआ इस्तेमाल
मृतक के पिता अर्जुन मेहता का आरोप है कि जब बच्चे को देखने जाता था तो अस्पताल के कर्मचारी दुर्व्यवहार करते थे। बच्चे को खून की जरूरत होने की बात कहकर अस्पताल प्रबंधन ने चार यूनिट खून भी लिया, लेकिन खून नहीं चढ़ाया गया। पैसे की मांग करते हुए 16 घंटे तक लाश को बंधक बनाए रखा।
इस पूरे मामले पर हेल्थ प्वाइंट अस्पताल के प्रबंधक गोपाल कुमार का कहना है कि ‘बच्चे की मौत के बाद हमने स्वजनों को एंबुलेंस का इंतजाम करने के लिए कहा था। बिना पैसे लिए भी इलाज किया। शव छोड़ने के लिए पैसे की मांग नहीं की गई, जबकि उसका बिल बकाया था।’