रांची रेल मंडल में आधुनिक तकनीक से लैस डीजल इलेक्ट्रिक टावर कार शामिल हो गया है। इसकी खासयित ये है कि इसमें एक सेंसर युक्त कैमरा लगा है जिससे पलक झपकते ही ओवरहेड इलेक्ट्रिक सिस्टम में किसी फॉल्ट का पता चल जाएगा। टावर कार में लगा मॉनीटर इंजीनियरों को उस खामी से अवगत करा देगा। इस टावर कार के आने से रांची रेल मंडल का इलेक्ट्रिक विभाग पहले की तुलना में और अधिक क्षमता से काम कर सकेगा। हटिया रेलवे स्टेशन पर डीआरएम नीरज अंबष्ट ने इस टावर कार को हरी झंडी दिखाई।
रेलवे के अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक ये कार उच्च गुणवत्ता वाली और अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस कार में इलेक्ट्रिक ओवरहेड वायर और उसमें लगे अन्य उपकरणों के निरीक्षण के लिए विशेष कैमरे लगाए गए हैं। इससे इंजीनियर टावर कार में बैठे-बैठे ओवरहेड वायर और उनके उपकरणों की जांच-पड़ताल कर सकेंगे। पावर रेक्टिफायर, आक्जीलियरी अल्टरनेटर, ट्रैक्शन अल्टरनेटर, ट्रैक्शन मोटर, मोटर स्विच जैसे और भी अन्य उपकरण इसमें लगे हुए हैं। इतना ही नहीं, अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने के लिए इसमें छोटे केबिन बनाए गए हैं।
110 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी टावर कार
ये टावर कार अधिकतम 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। वहीं पहले से ओवरहेड इलेक्ट्रिक सिस्टम की मरम्मत के लिए प्रयोग की जाने वाली टावर कार की रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटा थी। रफ्तार बढ़ जाने से फाल्ट साइट पर इंजीनियर जल्दी पहुंच सकेंगे। इस टावर कार में दो इंजन की सुविधा है लेकिन एक वक्त में एक इंजन काम करता है। दूसरा इंजन स्टैंडबाई में रहता है ताकि अगर पहले इंजन में खराबी आ जाए तो दूसरा इंजन चालू कर गंतव्य तक आसानी से पहुंचा जा सके।
इस कार में ध्वनि रहित जेनरेटर सेट लगा हुआ है क्योंकि पहले वाली कार में जेनरेटर के ध्वनि प्रदूषण की वजह से इंजीनियरों का काम प्रभावित होता था। इस आधुनिक टावर कार की मदद से 60 टन वजन के उपकरणों को भी ले जाया जा सकता है।
रांची रेल मंडल में आई आधुनिक तकनीक से बनी इलेक्ट्रिक टावर कार
टावर कार में इंजीनियरों का ख्याल रखते हुए रसोई की व्यवस्था भी दी गई है। इससे जरूरत पर लंच, डिनर और नाश्ते का भी इंतजाम किया जा सकता है। पहले अगर मरम्मत के काम में देर होती थी तो दूरदराज के इलाके में इंजीनियरों को नाश्ता-पानी नहीं मिल पाता था।