झारखंड पुलिस की पहल पर राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुर्नवास नीति के तहत प्रतिबंधित सीपीआइ माओवादी जीवन कंडुलना ने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस ने रविवार को मीडिया के सामने उसे पेश किया। जीवन कंडुलना पर सरकार ने 10 लाख का इनाम घोषित किया था। चक्रधरपुर से खूंटी तक सक्रिय जीवन 77 मामलों में वांछित था। खूंटी जिले के रनिया थाना क्षेत्र स्थित जापुद गांव का रहने वाले जीवन को पुलिस पिछले 10 सालों से तलाश रही थी। सूबे में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत झारखंड पुलिस को ये बड़ी सफलता मिली है।
माना जा रहा है कि जीवन के सरेंडर के बाद भाकपा माओवादियों को बड़ा झटका लगा है। जीवन कंडुलना भाकपा माओवादी संगठन में जोनल कमांडर पद संभालता था। सारंडा के जंगली इलाके में लगातार सक्रिय रहने के दौरान उसने इस इलाके में ही रेड कॉरिडोर बना रखा था। झारखंड पुलिस के अलावा ओड़िशा पुलिस भी जीवन कंडुलना को तलाश कर रही थी। इसे पकड़ने के लिए कुछ दिन पहले झारखंड और ओड़िशा पुलिस ज्वाइंट ऑपरेशन भी चला रही थी।
करीब एक महीने पहले पोड़ाहाट जंगल में जीवन कंडुलना के होने की सूचना पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया था। हालांकि उस समय वो फरार हो गया था। बताया जा रहा है कि जीवन कंडुलना बीते अक्टूबर में बोयदा पाहन के सरेंडर के बाद से ही खुद को सरेंडर करने की तैयारी में था। जीवन लगातार पुलिस के संपर्क में रह रहा था। ऐसे में जीवन के सरेंडर के पीछे बोयदा की अहम भूमिका बताई जा रही है।
आंतरिक कलह की वजह से फाड़ हो रहा संगठन में
हालांकि जीवन के सरेंडर के पीछे माओवादी संगठन में आंतरिक कलह भी एक वजह एक रूप में सामने आ रही है| दरअसल फरवरी 2018 के बाद भाकपा माओवादी संगठन में कई फेरबदल हुए थे। इस दौरान गिरिडीह के पतिराम मांझी उर्फ अनल दा को कोल्हान के इलाके में भेजा गया था। उत्तरी छोटानागपुर जोन में सक्रिय कई उग्रवादियों को भी कोल्हान भेजा गया था। इससे संगठन में बाहर के उग्रवादियों के आने से स्थानीय कैडरों खासकर आदिवासी कैडरों में नाराजगी हो गई थी। संगठन के भीतर नाराजगी के कारण ही आदिवासी कमांडर रहे बोयदा पाहन, जीवन कंडुलना, जीतराय मुंडा जैसे माओवादी संगठन छोड़कर सरेंडर कर रहे हैं। माना जा रहा है कि संगठन में बाहर के उग्रवादियों के प्रभाव की वजह से आंतरिक कलह बढ़ रही है।
26 जनवरी 2018 को नक्सलियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद सर्च ऑपरेशन में सुरक्षाबलों के जवानों ने एक नाबालिग लड़की को भी बरामद किया था। 13 साल की नाबालिग लड़की ने माओवादी कमांडर जीवन कंडुलना सहित उसके दस्ते पर एक साल से यौन शोषण करने का आरोप लगाया था। लड़की से बर्तन और अपने कपड़े धुलवाने के अलावा उसके साथ जीवन और दस्ते के अन्य सदस्य राइफल की नोंक पर शारीरिक संबंध बनाते थे। 13 साल की लड़की ने बताया कि जीवन कंडुलना दस्ते में कुल 11 सदस्य हैं, जो पोड़ाहाट के जोगोबेड़ा, जोजोगड़ा, रायबेड़ा, सेरेंगदा आदि क्षेत्र में रहते हैं तथा सरकार द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों को बाधित करते हैं।
लड़की के बयान पर महिला थाने में नक्सली जीवन कंडुलना, रामबीर, कालिया, सूर्या समेत अन्य के खिलाफ पोक्सो एक्ट, दुष्कर्म व नक्सली धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था। इधर, करीब एक साल पहले चाइबासा जिले के कोल्हान इलाके की पुलिस ने एक नाबालिग को नक्सलियों के चंगुल से छुड़ाया है। नाबालिग लड़की पिछले दो साल से उनके कैद में थी। दो साल पहले नक्सलियों ने दस साल की मासूम लड़की का अपहरण कर उसे अपने दस्ते में शामिल किया था। इस दौरान दो साल तक नक्सली उसे अपनी हवस का शिकार बनाते रहे।