झारखंड के पलामू, हजारीबाग तथा दुमका स्थित तीनों नए मेडिकल कालेजों में इस साल नामांकन की उम्मीद अब पूरी तरह खत्म हो गई है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नीट अभ्यर्थियों द्वारा तीनों मेडिकल कालेजों में दाखिला की अनुमति देने की याचिका खारिज कर दी है। आपको बता दें कि अदालत ने चार फरवरी को इस मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।लेकिन मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के इंफ्रास्ट्रक्चर व फैकल्टी के कमी की वजह से मेडिकल कॉलेज में नामांकन की याचिका ख़ारिज कर दी है | आपको बता दें कि पिछले साल ही कोर्ट ने राज्य के पदाधिकारियों को कॉलेजों की कमियां दूर करने का आदेश दिया था | इसके बाद भी नए मेडिकल कालेजों की कमियां दूर नहीं हुई है |दरअसल , सुप्रीम कोर्ट में छात्राें ने दलील दी थी कि उनके भविष्य काे देखते हुए मेडिकल कॉलेजों में नामांकन की अनुमति दी जाए। दलील में ये कहा गया था कि उन्होंने नीट के एग्जाम में अच्छे मार्क्स लाए हैं इसके बावजूद उनका नामांकन नहीं हो पा रहा है |
अदालत ने कहा कि पूर्व में जो कमियां थी, वह अभी भी बरकरार हैं। ऐसे में कॉलेज में बिना संरचना और फैकल्टी के नामांकन की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिन कालेजों में शिक्षक ही नहीं हैं, वहां आप कैसे पढ़ सकते हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नेशनल मेडिकल कमीशन और राज्य सरकार को शपथपत्र दाखिल करने को कहा था। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने शपथपत्र में अंडरटेकिंग देने के बावजूद कमियां दूर नहीं होने पर खेद प्रकट करते हुए उन कमियों को जल्द दूर कर देने का आश्वासन भी दिया था। हालांकि शपथपत्र में भी विभाग ने यह स्वीकार किया कि तीनों मेडिकल कालेजों में 32 से 50 फीसद फैकल्टी के पद खाली है |
आपको बता दें कि हर मेडिकल कॉलेज में 100 एमबीबीएस सीटें हैं। इस तरह से तीनाें मेडिकल काॅलेजाें में नामांकन नहीं हाेने से राज्य सरकार काे तीन साै मेडिकल की सीटाें का नुकसान हुआ है। अब अगले सत्र में नामांकन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी सभी कमियां दूर करनी ही होगी। तभी मेडिकल की तैयारी कर रहे छात्रों का भविष्य सुनिश्चित होगा |