सूरज दुबे हत्याकांड में एक नया पहलु सामने आया है, जहां एक ओर महाराष्ट्र पुलिस सूरज के शेयर मार्केट से जुड़े होने और 23 लाख के कर्जदार होने का दावा कर रही है वहीं दूसरी तरफ उनके परिजन शेयर बाजार में निवेश और किसी प्रकार के कर्ज के दावे से इंकार कर रहें हैं। महाराष्ट्र पुलिस ने अपने प्रारम्भिक जांच में इस घटना को अपहरण और फिरौती का मामला बताया। वहीं सूरज के भाई नीरज दुबे ने पुलिस के इस दावे को न मानते हुए सूरज की हत्या के पीछे कोई बड़ी साजिश बताते हुए इस घटना की सीबीआइ जांच की मांग की है।
सूरज कुमार दुबे के भाई नीरज दुबे ने बताया कि सूरज अपने साथी जवान धर्मेंद्र के साथ लगातार संपर्क में था। 22 जनवरी से सूरज अपना लोकेशन धर्मेंद्र से साझा कर रहा था। 30 जनवरी को लगभग 13 बार एसएमएस के जरिए धर्मेंद्र व सूरज के बीच बातचीत हुई थी। उन्होंने बताया कि शुरुआत के दो दिनों तक यूनिट का कमांडेंट का व्यवहार परिजनों के प्रति सहानुभूतिपूर्वक था। तीसरे दिन जैसे ही धर्मेंद्र का जिक्र आया कमांडेंट का व्यवहार बदल गया। यह इस बात की ओर इशारा करता है कि जरूर इस घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश है। सूरज 30 जनवरी को ड्यूटी ज्वाइन करने के लिए पलामू से निकले थे। उन्हें कोयंबटूर जाना था लेकिन चेन्नई से ही वे लापता हो गए। एक जनवरी को नेवी बेस से परिजनों को उनके ड्यूटी पर नहीं पहुँचने की सूचना मिली थी। वहीं हमें पालघर के एसपी ने फोन पर बताया कि तीन लोगों ने सूरज का अपहरण किया था। फिर महाराष्ट्र के पालघर में उसे जिंदा जला देने की खबर मिली। इस पूरे मामले में पहला नाम इरफान का शामिल है और पूरा मामला संदिग्ध है।
महाराष्ट्र पुलिस ने दावा किया है कि सूरज शेयर मार्केट में निवेश करता था। पालघर के पुलिस अधीक्षक दत्तात्रेय शिंदे का कहना है कि मृतक सूरज दुबे 3 मोबाइल का इस्तेमाल करता था , जिसमें से एक विशेष रूप से स्टॉक और शेयरों में काम करने के लिए रखा था, जिसकी खबर उसके परिजनों को भी नहीं थी। सूरज कुल 23 लाख रुपये का कर्जदार था। जबकि उनके पिता मिथिलेश दुबे ने अपने बेटे के शेयर बाजार में निवेश और किसी प्रकार के कर्ज से इंकार करते हुए कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि सूरज ने अपनी मृत्यु से पहले एक बयान दिया है कि जिसमें उसने कहा कि उसे तीन दिनों से कैद रखा गया था और 10 लाख रुपये की फिरौती भी मांगी गई थी। जिसके बाद उसे चेन्नई से पालघर लाकर जला दिया गया। इस घटना को लेकर सूरज के पिता ने भी न्याय की गुहार लगाते हुए सीबीआई जांच कि मांग की है।
दूसरी तरफ इस घटना के बाद सूरज के पैतृक गांव चैनपुर प्रखंड के पूर्वडीहा कुल्हुआ में काफी आहत है और पूरे गाँव में आक्रोश का माहौल है। लोगों का कहना है कि सूरज आखिर चेन्नई से पालघर कैसे पहुंच गए। वह तो अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने जा रहे थे। इस मामले में जांच की मांग को लेकर ग्रामीण रणनीति बनाकर आंदोलन करने की तैयारी में जुट गए हैं।
वहीं महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में तीन अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। एसपी ने बताया कि मृतक सूरज कुमार दुबे की मोबाइल कॉल डिटेल्स के आधार पर एक नंबर से 13 कॉल किए जाने का पता चला है। उसके चेन्नई से पालघर लाए जाने के मामले की भी जांच की जा रही है। पुलिस टीम इन पहलुओं की जांच करने के लिए चेन्नई पहुंच चुकी है। इधर महराष्ट्र पुलिस के किसी भी दावे को परिजन मानने से इंकार रहे है।
क्या थी पूरी घटना
30 जनवरी को सूरज अपनी छुट्टी पूरी कर ड्यूटी ज्वाइन करने हैदराबाद जा रहे थे।चेन्नई एयरपोर्ट के बाहर कुछ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा उनका अपहरण कर लिया गया था। 3 दिनों के बाद सूरज को 1500 किलोमीटर दूर पालघर के जंगलों में लाया गया और पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया गया।। इस बीच शुक्रवार को उनका शरीर वो घायल अवस्था पालघर में एक नाले में मिल। आनन-फानन में उनको नौसेना के अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। प्रारंभिक जांच के बाद ये पूरा मामला अपहरण का माना जा रहा है
बता दें कि सूरज दुबे 2012 में भारतीय नौसेना में शामिल हुए थे और ओडिशा में आईएनएस चिल्का में एक प्रारंभिक कार्यकाल के बाद, उन्हें मुंबई शिफ्ट कर दिया गया था और फिर 2019 में तमिलनाडु में आईएनएस अग्रणी में तैनात किया गया था | 15 जनवरी 2021 को उनकी सगाई हुई और मई में शादी होने वाली थी। पूरा परिवार सूरज पर आश्रित था।