नीरज सिंह हत्याकांड : आठ साल बाद कोर्ट का फैसला, पूर्व विधायक संजीव सिंह बरी

धनबाद। झारखंड की राजनीति को वर्षों तक हिला देने वाले बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड में आखिरकार अदालत ने अपना फैसला सुना दिया। धनबाद के एमपी-एमएलए कोर्ट ने सोमवार को पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह समेत सभी आठ आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया।

आठ साल बाद आया फैसला

21 मार्च 2017 को धनबाद के सरायढेला स्टील गेट के पास अंधाधुंध फायरिंग कर कांग्रेस नेता और पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस सनसनीखेज वारदात ने न केवल धनबाद बल्कि पूरे झारखंड की राजनीति में भूचाल ला दिया था। घटना के बाद इस केस में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया था। लंबी सुनवाई, गवाहों की पेशी और कानूनी बहसों के बाद आठ साल छह माह बाद अदालत ने अपना अंतिम निर्णय दिया।

गवाह और सुनवाई

मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 37 गवाह पेश किए गए। वहीं, बचाव पक्ष की ओर से 5 गवाह अदालत में गवाही के लिए लाए गए। इस दौरान चार चश्मदीद गवाहों ने भी अदालत में अपने बयान दर्ज कराए। बावजूद इसके, अदालत ने माना कि अपर्याप्त और कमजोर सबूतों के आधार पर आरोपियों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।

संजीव सिंह और राजनीतिक पृष्ठभूमि

इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी माने गए झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा। आठ अगस्त 2025 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली थी, जिसके बाद 11 अगस्त को वे जेल से बाहर आए। संजीव सिंह की पत्नी रागिनी सिंह वर्तमान में झरिया से भाजपा की विधायक हैं। वहीं, दिवंगत नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह झरिया से कांग्रेस की विधायक रह चुकी हैं। इसीलिए यह मामला राजनीतिक दृष्टिकोण से और भी संवेदनशील बना रहा।

फैसले के बाद मिली-जुली प्रतिक्रिया

इस फैसले के बाद संजीव सिंह के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। जगह-जगह खुशी का इजहार किया गया। दूसरी ओर, नीरज सिंह के परिवार और समर्थकों में मायूसी का माहौल रहा। नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने साफ कहा है कि वे इस फैसले को चुनौती देंगे और जल्द ही हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला प्रशासन ने पूरे शहर में चाक-चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की थी। कोर्ट परिसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई और आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई गई। केवल केस से जुड़े पक्षकार और अधिवक्ता ही अदालत परिसर में प्रवेश कर सके।

राजनीतिक हलचल और आगे की राह

इस फैसले ने धनबाद की राजनीति में एक नई हलचल पैदा कर दी है। जहां एक ओर भाजपा खेमे में इसे बड़ी राहत माना जा रहा है, वहीं कांग्रेस और नीरज सिंह समर्थक इसे न्याय में कमी बता रहे हैं। अब सबकी निगाहें इस मामले की हाईकोर्ट में होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी होंगी।

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