राज्य ब्यूरो – झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन का सोमवार को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। झारखंड में तीन दिनों का राजकीय शोक घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश साझा करते हुए लिखा – “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सबको छोड़कर चले गए। आज मैं शून्य हो गया हूँ…”।
शिबू सोरेन का दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज चल रहा था, जहां उन्होंने सोमवार सुबह अंतिम सांस ली। अस्पताल प्रशासन के अनुसार, उन्हें 19 जून 2025 को किडनी संबंधी गंभीर बीमारी और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं के कारण भर्ती कराया गया था। भर्ती के कुछ ही दिनों बाद उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ, जिसके बाद उनकी स्थिति लगातार बिगड़ती गई।
इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा। लगभग एक महीने तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने के बाद उनकी हालत में थोड़े सुधार के संकेत मिले, लेकिन सोमवार सुबह उनकी स्थिति गंभीर हो गई और उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। गंगा राम अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. एके भल्ला और न्यूरोलॉजी टीम उनके इलाज में जुटी हुई थी।
- शिबू सोरेन के निधन की खबर फैलते ही उनके रांची स्थित आवास और पूरे राज्य में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी है। कार्यकर्ता, समर्थक और आम जनता उनके योगदान और संघर्ष को याद करते हुए भावुक हो रहे हैं।
जन नेता और झारखंड आंदोलन के पुरोधा
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन झारखंड आंदोलन से जुड़ा रहा है। उन्हें झारखंड राज्य के गठन के लिए किए गए लंबे संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। “दिशोम गुरु” के नाम से मशहूर सोरेन आदिवासी समाज के अधिकारों की लड़ाई में हमेशा अग्रणी रहे। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र सरकार में भी मंत्री पद संभाला।
राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
राज्य सरकार ने घोषणा की है कि शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित राज्य के तमाम मंत्री, विपक्षी नेता और विभिन्न दलों के प्रतिनिधि अंतिम यात्रा में शामिल होंगे।
राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक, सभी ने उनके निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और देशभर के नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
झारखंड की राजनीति और समाज में शिबू सोरेन का योगदान अविस्मरणीय है। उनका जाना राज्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है, जिसे लंबे समय तक भुलाया नहीं जा सकेगा।