दो साल बाद भी नहीं मिला वेतन: पथ निर्माण विभाग के सहायक अभियंताओं को “नो वर्क, नो पे” का तर्क देकर किया गया वेतन से वंचित

रांची: झारखंड सरकार के पथ निर्माण विभाग में वर्ष 2022 में नियुक्त सहायक अभियंताओं को दो वर्षों के बाद भी सेवा विनियमन एवं पदस्थापन की प्रतीक्षा अवधि का वेतन नहीं मिला है। इसको लेकर विभाग द्वारा “नो वर्क, नो पे” का हवाला दिया जा रहा है, जिससे अभियंताओं में भारी असंतोष है।

ज्ञात हो कि अधिसूचना संख्या 4113(एस), दिनांक 14.11.2022 की कंडिका 12 के अनुसार झारखंड सेवा संहिता नियम 58 और वित्तीय नियमावली नियम 74 के तहत सहायक अभियंताओं को उनकी पदभार ग्रहण की तिथि से वेतन और भत्ते देय हैं। इसके बावजूद विभाग ने अब तक उन्हें प्रतीक्षा अवधि — जो 3 से 6 माह तक रही — का कोई वित्तीय लाभ नहीं दिया है।

अन्य विभागों में हुआ भुगतान

JESA (झारखंड इंजीनियरिंग सेवा एसोसिएशन) के महासचिव राहुल कुमार ने बताया कि जल संसाधन विभाग में भी इसी तिथि और अधिसूचना (संख्या 5737 एवं 5738, दिनांक 14.11.2022) के आधार पर सहायक अभियंताओं की नियुक्ति हुई थी। वहां विभागीय संकल्प संख्या 1337/विo, दिनांक 20.05.2022 के तहत उनकी प्रतीक्षा अवधि को सेवा काल मानते हुए वेतन भुगतान किया गया, लेकिन पथ निर्माण विभाग ने ऐसा नहीं किया।

उन्होंने यह भी कहा कि विभाग का “नो वर्क, नो पे” का तर्क न केवल अनुचित है, बल्कि वित्तीय नियमों का भी उल्लंघन करता है। वित्तीय नियमों के अनुसार, पदस्थापन अवधि अधिकतम 30 दिन मानी जाती है, लेकिन इन अभियंताओं को 6 माह तक तैनाती का इंतजार करना पड़ा।

मामला पहुँचा उच्च न्यायालय

इस असमानता और वेतन भुगतान की देरी को लेकर प्रभावित अभियंताओं ने झारखंड उच्च न्यायालय में वाद दायर किया है। वकीलों के अनुसार, विभागीय नीति और संविधान के समानता के अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है।

महासचिव राहुल कुमार ने सरकार से मांग की है कि सभी सहायक अभियंताओं को समान रूप से प्रतीक्षा अवधि का वित्तीय लाभ प्रदान किया जाए और विभागीय जवाबदेही तय की जाए।

अधिकारियों की चुप्पी पर सवाल

अब तक पथ निर्माण विभाग के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन अभियंताओं का कहना है कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे चरणबद्ध आंदोलन पर उतरने को विवश होंगे।

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