झारखंड शराब घोटाला: छत्तीसगढ़ की कंपनियों को 11 करोड़ का भुगतान, जबकि 450 करोड़ अब भी बकाया…..

झारखंड में शराब घोटाले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की जांच शुरू होने के बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में हुए घोटाले की कई परतें खुल चुकी हैं. अब सामने आया है कि विभाग के कुछ अधिकारियों ने नियमों के खिलाफ जाकर छत्तीसगढ़ की दो शराब कंपनियों को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया, जबकि उन्हीं राज्य की अन्य कंपनियों पर पहले से भारी भरकम बकाया है.

छत्तीसगढ़ की कंपनियों को दिया गया 11 करोड़ का भुगतान

वर्ष 2022 में झारखंड में शराब की थोक आपूर्ति करने वाली दो छत्तीसगढ़ की कंपनियां — मेसर्स दीशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ओम साईं विबरेजेज प्राइवेट लिमिटेड — को नवंबर 2024 में 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया. यह भुगतान उस वक्त किया गया, जब इन्हीं कंपनियों के समूह की चार प्लेसमेंट एजेंसियों पर झारखंड सरकार का करीब 450 करोड़ रुपये बकाया है.

450 करोड़ की बकाया राशि और सुप्रीम कोर्ट की शरण

झारखंड सरकार ने चार छत्तीसगढ़ी प्लेसमेंट एजेंसियों — मेसर्स ए टू जेड इंफ्रा सर्विसेज, ईगल हंटर सोल्यूशंस, प्राइम वन वर्क फोर्स और सुमित फैसिलिटीज — पर शराब की खुदरा दुकानों से जुड़े मैनपावर और बिक्री के पैसे को सरकारी खाते में जमा नहीं करने का आरोप लगाया है. इन कंपनियों की बैंक गारंटी जब्त कर उन्हें ब्लैकलिस्ट किया गया और 450 करोड़ रुपये की वसूली तय की गई. यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

एक अफसर ने रोका भुगतान, दूसरे ने कर दिया जारी

जांच में सामने आया है कि JSBCL के पूर्व आयुक्त फैज अक अहमद ने इन दोनों थोक कंपनियों के भुगतान को रोक रखा था, क्योंकि उन्हें छत्तीसगढ़ की प्लेसमेंट एजेंसियों पर भारी बकाया का हवाला दिया गया था. लेकिन उनके रिटायर होते ही नए आयुक्त अमित प्रकाश ने दोनों कंपनियों को 11 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान कर दिया, जो संदेह का विषय बन गया है.

मंत्री को नहीं दी गई जानकारी, विभागीय प्रक्रिया पर उठे सवाल

यह भी खुलासा हुआ कि यह पूरा भुगतान बिना मंत्री योगेंद्र प्रसाद को जानकारी दिए किया गया. मंत्री के शपथ लेने और विभागीय जिम्मेदारी संभालने के कुछ ही दिनों के भीतर यह रकम जारी की गई, जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या किसी दबाव में यह फैसला लिया गया.

झारखंड के शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी का भी बकाया लंबित

पूर्व शराब कारोबारी योगेंद्र तिवारी ने भी नाराजगी जताई है. उन्होंने एक मई 2022 को अपने थोक गोदाम और शराब स्टॉक झारखंड सरकार को सौंपा था. उस समय उनका 14 करोड़ रुपये बकाया था, जो आज तक नहीं दिया गया. अब वे पूछ रहे हैं कि जब उनका तीन साल पुराना बकाया अभी तक नहीं मिला, तो छत्तीसगढ़ की कंपनियों को इतनी जल्दी भुगतान कैसे हो गया?

मंत्री योगेंद्र प्रसाद का बयान – दोषी नहीं बख्शे जाएंगे

मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्पाद मंत्री योगेंद्र प्रसाद ने स्पष्ट कहा है कि इस तरह के मामले में विभागीय जांच की जाएगी. उन्होंने कहा कि विभाग में किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. तीन साल पुराने मामले में अचानक किया गया भुगतान निश्चित रूप से जांच का विषय है.

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