रांची: झारखंड में करोड़ों रुपये के शराब घोटाले को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने अपनी कार्रवाई और तेज कर दी है। बुधवार को लगातार दूसरे दिन एसीबी ने बड़ी कार्रवाई करते
हुए झारखंड बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JBBCL) के पूर्व महाप्रबंधक (GM) सुधीर कुमार, वर्तमान GM सुधीर कुमार दास और शराब दुकानों में मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनी
‘विजन’ के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
इससे पहले मंगलवार को एसीबी ने उत्पाद विभाग के पूर्व सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी विनय चौबे तथा संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को करीब
साढ़े छह घंटे की पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया था।
एसीबी की टीम ने बुधवार को उत्पाद विभाग के राज्य कार्यालय में छापेमारी की और कई अहम दस्तावेज जब्त किए। पूछताछ के बाद दोनों जीएम को गिरफ्तार कर लिया गया। जांच में अब तक लगभग 100 करोड़ रुपये के घोटाले की पुष्टि हुई है।
राज्य सरकार के कैबिनेट सचिवालय और निगरानी विभाग से अनुमति मिलने के बाद मंगलवार को ACB ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। इसके पहले प्रारंभिक जांच के तहत एक प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी (PE) भी दर्ज की गई थी।
कैसे हुआ घोटाला?
शराब घोटाले की जड़ें वर्ष 2022 में नई एक्साइज पॉलिसी के लागू होने के साथ जुड़ी हैं। यह पॉलिसी छत्तीसगढ़ मॉडल पर आधारित थी और इसके कार्यान्वयन के लिए झारखंड सरकार ने छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (CSMSCL) को कंसल्टेंट नियुक्त किया था। लेकिन पॉलिसी को ज़मीन पर उतारने की प्रक्रिया में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां सामने आईं।
आरोप है कि एक विशेष सिंडिकेट को शराब का टेंडर दिलाने के लिए टेंडर की शर्तों में मनमाने तरीके से बदलाव किए गए। इस सिंडिकेट को शराब आपूर्ति और होलोग्राम सिस्टम के ठेके दिलवाए गए। जांच में यह भी सामने आया है कि टेंडर में शामिल कंपनियों की ओर से जमा की गई बैंक गारंटियां फर्जी थीं। इससे राज्य सरकार को भारी राजस्व नुकसान हुआ।
इसके अलावा मैनपावर सप्लाई के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया गया। ‘विजन’ कंपनी द्वारा शराब दुकानों में काम करने के लिए आपूर्ति किए गए कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया में कई अनियमितताएं सामने आई हैं।
आगे की कार्रवाई
एसीबी अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि जांच अभी जारी है और आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां हो सकती हैं। यह भी कहा जा रहा है कि जांच का दायरा राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों तक भी जा सकता है।
झारखंड में शराब नीति के नाम पर किया गया यह घोटाला राज्य की प्रशासनिक पारदर्शिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। ACB की त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में अब कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।