झारखंड के जमशेदपुर के पास स्थित दलमा वन्यजीव अभयारण्य अब न सिर्फ हाथियों के लिए जाना जाएगा, बल्कि अब यह रंग-बिरंगी तितलियों के कारण भी चर्चा में आ गया है. पहली बार यहां 26 से 28 अप्रैल तक तितली महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देशभर से तितली विशेषज्ञ, पर्यावरणविद और शोधकर्ता भाग लेंगे. इस आयोजन का उद्देश्य न केवल तितलियों की विविधता को उजागर करना है, बल्कि उनके संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक करना भी है.
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर दलमा
दलमा की पहाड़ियां और घने जंगल झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में स्थित हैं. यह स्थान वर्षों से हाथियों का सुरक्षित घर रहा है. लेकिन अब पता चला है कि यह जगह तितलियों के लिए भी किसी स्वर्ग से कम नहीं है. यहां की जलवायु, वनस्पति और मिट्टी तितलियों के अनुकूल है. पुटुस, बैर और कई प्रकार के फूलों वाले पौधे तितलियों को पोषण और ऊर्जा प्रदान करते हैं. दलमा के डीएफओ शबा आलम अंसारी के अनुसार, “यहां की जैव विविधता और प्राकृतिक संतुलन तितलियों के लिए आदर्श माहौल तैयार करता है”.
तितलियों का स्वर्ग: दलमा और सारंडा
पर्यावरणविद राजा घोष बताते हैं कि दलमा और सारंडा के जंगल तितलियों के लिए बेहद जरूरी हैं. तितलियां सिर्फ सुंदरता की प्रतीक नहीं हैं, बल्कि पारिस्थितिकी तंत्र की रीढ़ हैं. वे पौधों के परागण में मदद करती हैं और खाद्य श्रृंखला का अहम हिस्सा होती हैं. लेकिन बदलते पर्यावरण के चलते कई तितलियां संकट में हैं. ऐसे में उनके संरक्षण की आवश्यकता और अधिक बढ़ जाती है.
दलमा में दिखने वाली प्रमुख तितलियां
- गाउडी बेरोन – यह तितली नारंगी और काले रंग के मेल से बनी होती है और देखने में बेहद आकर्षक लगती है.यह दलमा के नम और छायादार हिस्सों में देखी जा सकती है.
- येलो पैंसी – यह तितली सुनहरे पंखों के साथ सूर्य की किरणों जैसी चमक बिखेरती है.इसके पंखों पर काले धब्बे होते हैं और यह नम मिट्टी से खनिज चूसने में माहिर है.
- आर्किड टीट – इस तितली के पंखों पर नीले और बैंगनी रंग की आकृतियां होती हैं.यह हिमालय से संबंधित मानी जाती है, लेकिन दलमा का प्राकृतिक परिवेश इसके लिए अनुकूल है.
- रेड पायरोट – यह तितली चटख लाल पंखों के साथ दलमा के जंगलों में दिखाई देती है.इसके पंखों पर सफेद और काले डिजाइन होते हैं.
- पम ज्यूडी – छोटी और नाजुक तितली है जो नीले और हरे रंग में चमकती है.यह छोटे फूलों पर मंडराती दिखाई देती है.
- वाटर स्नो फ्लैट – यह तितली अपने सफेद पंखों से पानी की बूंदों जैसी चमक बिखेरती है और मुख्य रूप से नदियों व झरनों के किनारे पाई जाती है.
- प्लेन टाइगर – यह नारंगी और काले रंग वाली तितली जंगल में राजसी अंदाज में उड़ती है.यह विषैले पौधों का रस पीकर शिकारियों से खुद को बचाती है.
- लेपर्ड तितली – इसके पंखों पर चीतों जैसे धब्बे होते हैं, जो इसे खास बनाते हैं.पीला, नारंगी और काला रंग इसे एक आकर्षक रूप देता है.
संरक्षित और दुर्लभ प्रजातियां
दलमा के जंगलों में कई तितलियां ऐसी भी हैं, जिन्हें अब वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित किया गया है. इनमें आर्किड टीट, पम ज्यूडी, प्लेन टाइगर और लेपर्ड तितली शामिल हैं. इन तितलियों की उपस्थिति यह साबित करती है कि दलमा न केवल हाथियों के लिए, बल्कि कीट-पतंगों और जैव विविधता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है.