गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए बयान ने झारखंड की राजनीति में नई हलचल मचा दी है. दुबे के इस विवादास्पद बयान से एक ओर जहां भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने दूरी बना ली है, वहीं दूसरी ओर पार्टी कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. इंटरनेट मीडिया पर उनके बयान को जमकर शेयर किया जा रहा है, और कई लोग इसे राष्ट्रवादी सोच का प्रतिनिधित्व बता रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी बनी विवाद की जड़
सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों पर सवाल खड़े करते हुए एक बयान दिया, जिसे लेकर पार्टी के अंदर और बाहर विवाद खड़ा हो गया. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस बयान को पार्टी की आधिकारिक राय से अलग बताते हुए साफ कहा कि यह दुबे का व्यक्तिगत विचार है. इसके बाद से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है.
विपक्ष का हमला तेज, लेकिन कार्यकर्ताओं का समर्थन भी उतना ही मुखर
दुबे के बयान पर कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) जैसे विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस नेता और राज्य सरकार में मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने इसे संविधान विरोधी बताया, वहीं झामुमो के वरिष्ठ नेता प्रदीप यादव और अन्य नेताओं ने भी दुबे को आड़े हाथों लिया. हालांकि, भाजपा के कार्यकर्ता सांसद के बयान को समर्थन देते नजर आ रहे हैं. सोशल मीडिया पर सोमवार को दिनभर कार्यकर्ता उनके बयान को पोस्ट और शेयर करते रहे. उनका कहना है कि दुबे ने वह बात कही है जो आम कार्यकर्ता के दिल में है.
राष्ट्रवादी अधिवक्ताओं का समर्थन
राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़े अधिवक्ता अभय मिश्रा ने कहा कि सांसद ने जो कहा है, उससे कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी सोच रखने वाले लोग उत्साहित हैं. उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले आम जनमानस की भावना से मेल नहीं खाते और सांसद ने इस पर खुलकर बात की है. भाजपा कार्यकर्ताओं में तकनीकी पहलुओं की समझ भले न हो, लेकिन वे इसे अपने ‘मन की बात’ मानकर देख रहे हैं. वे मानते हैं कि दुबे ने उस पीड़ा को उजागर किया है जो कई बार न्यायपालिका के फैसलों के बाद महसूस होती है.
संताल परगना में घुसपैठ का मुद्दा भी छाया
निशिकांत दुबे ने पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी की सोशल मीडिया पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि किस तरह से घुसपैठ की वजह से इलाके की जनसंख्या और सामाजिक संरचना बदल रही है. इस बयान को भी भाजपा कार्यकर्ताओं का भरपूर समर्थन मिला है. भाजपा से जुड़े बिजनेस अकाउंट्स सलाहकार प्रवीण शर्मा ने कहा कि पहली बार किसी नेता ने इतनी मजबूती से तथाकथित सेक्युलर गिरोह को बेनकाब किया है. उन्होंने कहा कि दुबे के विचार न सिर्फ साहसी हैं बल्कि जमीन से जुड़े भी हैं.
पार्टी में बढ़ती विचारधारात्मक खाई?
हालांकि पार्टी के शीर्ष नेता फिलहाल इस बयान पर चुप हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का समर्थन साफ संकेत देता है कि पार्टी के अंदर विचारधारात्मक मतभेद उभर रहे हैं. कार्यकर्ता जहां खुलकर दुबे के समर्थन में पोस्ट कर रहे हैं, वहीं केंद्रीय नेतृत्व बयान से दूरी बनाए हुए है. इससे झारखंड भाजपा के लिए एक धर्मसंकट की स्थिति बन गई है—एक ओर केंद्रीय नेतृत्व की संयमित और कानूनी रुख, दूसरी ओर कार्यकर्ताओं का भावनात्मक जुड़ाव.