मुर्शिदाबाद हिंसा: 170 हिंदू परिवारों ने छोड़ा गांव, झारखंड में शरण..

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून को लेकर भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद लगभग 170 हिंदू परिवारों ने अपना घर छोड़ दिया है। इनमें से कई परिवार पड़ोसी राज्य झारखंड के राजमहल क्षेत्र में शरण लिए हुए हैं। पीड़ितों का कहना है कि हिंसा के दौरान जाफराबाद गांव में हालात बेकाबू हो गए और दो लोगों की जान भी चली गई।

दास परिवार के सदस्य हृदय दास ने बताया कि शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के बाद गांव में हिंसा भड़क उठी। अगले दिन शनिवार को सुबह करीब 11 बजे करीब 50 से 60 नकाबपोश हमलावर बम और धारदार हथियारों से लैस होकर गांव में घुस आए और दंगा शुरू कर दिया। इस दौरान हरगोविंद दास और उनके भतीजे चंदन दास की हत्या कर दी गई। पुलिस घटनास्थल पर करीब चार घंटे बाद पहुंची, तब तक दंगाई फरार हो चुके थे।

हृदय दास के अनुसार, उन्होंने अपनी 85 वर्षीय मां को बीमार बताकर एंबुलेंस के जरिए परिवार के 12 सदस्यों के साथ किसी तरह राजमहल पहुंचकर जान बचाई। परिवार में मोटरी दास, बापी दास, सुरिचिता सरकार, रूपचंद सरकार, सुष्मिता सरकार और आराध्या दास समेत कई सदस्य शामिल हैं। उन्होंने बताया कि गांव अब लगभग खाली हो चुका है, और अधिकांश परिवार अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां शरण ले चुके हैं।

तारापुर कॉलोनी से आई पापिया विश्वास ने बताया कि जब शुक्रवार रात से हिंसा शुरू हुई तो उनके पति मिथुन विश्वास समेत कॉलोनी के पुरुषों ने निर्णय लिया कि पहले घर की महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित बाहर भेजा जाए। शनिवार रात को तीन महिलाओं और तीन छोटे बच्चों को स्कार्पियो वाहन से पहले फरक्का और फिर पूर्वी नारायणपुर भेजा गया।

महिलाओं ने बताया कि उपद्रवियों का उद्देश्य वहां मौजूद राधा गोविंद मंदिर को नष्ट करना, महिलाओं का अपमान करना और पुरुषों तथा बच्चों को मार डालना था। पापिया विश्वास ने कहा कि उनका मकान, कारोबार और दुकान सब वहीं है, लेकिन उपद्रवी ताकतें उन्हें डराकर वहां से खदेड़ना चाहती हैं ताकि वे वहां कब्जा जमा सकें।

स्थानीय लोगों ने राज्य पुलिस पर अविश्वास जताते हुए कहा कि यदि मौके पर बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवान समय रहते नहीं पहुंचे होते, तो हालात और भी भयावह हो सकते थे।

फिलहाल, झारखंड के राजमहल में पहुंचे ये परिवार अपनों के घरों में अस्थायी तौर पर रह रहे हैं, लेकिन उनका भविष्य अनिश्चित बना हुआ है। प्रभावित परिवारों ने प्रशासन से स्थायी सुरक्षा और पुनर्वास की मांग की है।

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