राजधानी रांची में पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से जुड़े एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. वर्ष 2019 से 2024 तक विभाग के स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल, रांची के माध्यम से हुए करीब 160 करोड़ रुपये के काम में भारी अनियमितता सामने आई है. इस मामले की जांच वित्त विभाग द्वारा गठित सात सदस्यीय उच्च स्तरीय अंतर विभागीय समिति ने की, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत से गबन की आशंका जताई गई है.
इंजीनियर और कोषागार अधिकारियों की मिलीभगत
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि इस घोटाले में कार्यपालक अभियंता से लेकर कोषागार के अधिकारी और कर्मचारी तक शामिल रहे हैं. रांची के स्वर्णरेखा शीर्ष प्रमंडल से जुड़े कार्यों में अलग-अलग वर्षों में लाखों की अवैध निकासी हुई है. खासकर वर्ष 2019-20 में 2.71 करोड़ रुपये की निकासी डीडीओ कोड RNCWSS 001 से की गई, जो जांच के घेरे में है. कमेटी ने यह भी पाया कि कोषागार के अधिकारी और कर्मचारी नियमों की अनदेखी कर इस घोटाले को अंजाम दे रहे थे. इतना ही नहीं, कंप्यूटर ऑपरेटरों को भी “कुबेर ट्रेजरी एप्लिकेशन सिस्टम” में लॉग-इन कराकर बिल पास करने जैसे कार्यों में शामिल किया गया, जबकि कोषागार संहिता के नियम 109 के तहत ये कार्य उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं आते.
अन्य प्रमंडलों में भी जांच की सिफारिश
जांच कमेटी ने सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि राज्य के अन्य प्रमंडलों में भी इसी तरह की अनियमितता की आशंका जताई है. इसलिए कमेटी ने गोंदा, रांची पूर्व, नागरिक अंचल और अधीक्षण अभियंता, पेयजल व स्वच्छता अंचल, रांची के कार्यों की भी विशेष ऑडिट कराने की सिफारिश की है. इसके अलावा कमेटी ने निलंबित रोकड़पाल संतोष कुमार के खिलाफ विशेष जांच की अनुशंसा की है. संतोष कुमार जिन-जिन प्रमंडलों में पदस्थापित रहे, वहां भी घोटाले की आशंका जताई गई है.
विशेष ऑडिट की सिफारिश
जांच रिपोर्ट में वर्ष 2012-13 से 2023-24 तक के सभी खर्चों की विशेष ऑडिट कराने की बात कही गई है. अब तक की जांच में वर्ष 2018-19 में 5.10 लाख, 2019-20 में 20.04 लाख और 2022-23 में 9.01 लाख रुपये यानी कुल 34.15 लाख रुपये की अवैध निकासी की पुष्टि हो चुकी है. कमेटी ने इस पूरे मामले को गंभीर मानते हुए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सभी प्रमंडलों के कार्यों की व्यापक जांच कराने की सिफारिश की है. साथ ही यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि इस शीर्ष (budget head) के अंतर्गत राज्य में कहां-कहां कार्य हुए और उनमें किस प्रकार की अनियमितता रही.
कोषागारों की भूमिका भी संदेह के घेरे में
इस घोटाले में केवल पेयजल विभाग ही नहीं, बल्कि झारखंड के पांच प्रमुख कोषागारों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. इन कोषागारों में रांची, धनबाद, हजारीबाग, जमशेदपुर और पलामू शामिल हैं. इन सभी कोषागारों में हुए भुगतान और निकासी की विशेष ऑडिट कराने की सिफारिश रिपोर्ट में की गई है.
कंप्यूटर ऑपरेटरों को वित्तीय कार्यों से अलग करने की मांग
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि कंप्यूटर ऑपरेटरों को वित्तीय लेन-देन के कार्यों से पूरी तरह अलग किया जाए, क्योंकि नियमों के अनुसार वे बिल पास करने के लिए अधिकृत नहीं हैं. लेकिन, घोटाले के दौरान ऑपरेटरों को अवैध रूप से ट्रेजरी लॉग-इन दिया गया और उन्होंने गलत तरीके से भुगतान की प्रक्रिया में भागीदारी की.