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खिलाड़ियों के लिए बनेगी अलग बटालियन? हेमंत सरकार कर रही विचार, राज्य स्तरीय पदक विजेताओं को मिल सकती है आर्थिक मदद

रांची: झारखंड सरकार राज्य के खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार अब खिलाड़ियों के लिए अलग बटालियन के गठन पर विचार कर रही है। इसके साथ ही राज्य और जिला स्तर पर पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को भी आर्थिक सहायता देने की योजना पर मंथन चल रहा है।

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कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में यह महत्वपूर्ण सुझाव दिया था कि खिलाड़ियों के लिए एक अलग बटालियन का गठन होना चाहिए। उनका मानना है कि इससे खिलाड़ियों को भविष्य की नौकरी की गारंटी मिलेगी और वे खेल में और बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेरित होंगे। साथ ही, राज्य और जिला स्तर के खिलाड़ियों को भी यदि आर्थिक मदद दी जाए, तो उनका मनोबल बढ़ेगा और खेल के क्षेत्र में झारखंड का नाम और ऊंचा होगा।

सरकार ने दिखाया सकारात्मक रुख

राज्य के खेलकूद एवं युवा कार्य मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू ने इस सुझाव को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह सरकार के नीति निर्धारण से जुड़ा विषय है, लेकिन खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन बनाने का प्रस्ताव नया और सराहनीय है। इस पर विचार किया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य या जिला स्तर के पदक विजेताओं को नौकरी में आरक्षण देना संभव नहीं है, लेकिन आर्थिक सहयोग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। संभवतः अनुबंध आधारित लाभ दिए जा सकते हैं।

खेल नीति में आ चुका है बदलाव

गौरतलब है कि झारखंड में खेल नीति को लेकर पहले भी कई बार पहल हुई है। राज्य गठन के सात साल बाद, वर्ष 2007 में पहली बार खेल नीति बनी थी, लेकिन इसे लागू करने में भी सात साल लग गए। वर्ष 2014 और 2015 में इसके तहत खिलाड़ियों को सरकारी विभागों में सीधी नियुक्ति देने की अधिसूचना जारी की गई थी। फिर 2022 में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खेल को प्राथमिकता देते हुए नई खेल नीति 2022 का लोकार्पण किया था। इसी दौरान कई खिलाड़ियों को 50 हजार रुपये की सम्मान राशि देकर सम्मानित भी किया गया था।

इसमें हॉकी खिलाड़ियों में पंकज कुमार रजक, संगीता कुमारी, सलीमा टेटे, निक्की प्रधान जैसे नाम शामिल थे, जबकि एथलेटिक्स में सुप्रिती कच्छप, फ्लोरेंस बारला, रिया कुमार, हेमंत कुमार जैसे खिलाड़ियों को भी सम्मानित किया गया था।

क्या होगा खिलाड़ियों की बटालियन का लाभ?

अगर सरकार खिलाड़ियों के लिए अलग से बटालियन का गठन करती है, तो यह न केवल राज्य के खिलाड़ियों को सुरक्षा और स्थायित्व प्रदान करेगा, बल्कि इससे अन्य युवाओं को भी खेल की दिशा में प्रेरणा मिलेगी। इससे पहले भी रघुवर दास सरकार ने आदिम जनजाति बटालियन बनाकर राष्ट्रीय स्तर पर सराहना पाई थी। अब देखना है कि हेमंत सरकार इस प्रस्ताव को हकीकत में बदलती है या नहीं।

राज्य सरकार का यह कदम यदि धरातल पर उतरता है, तो यह झारखंड में खेलों के लिए एक नया युग साबित हो सकता है। खिलाड़ियों को न केवल सम्मान मिलेगा, बल्कि उनका भविष्य भी सुरक्षित होगा। इससे निश्चित रूप से झारखंड के युवा खेलों की ओर और आकर्षित होंगे।

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