धनबाद। क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 में भारतीय संस्थानों ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। इस वर्ष के विषयवार रैंकिंग में भारत के नौ विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने दुनिया के शीर्ष 50 में अपनी जगह बनाई है। खासकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) और भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) ने अपनी मजबूती का परिचय दिया है।
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आईआईटी धनबाद ने हासिल किया 20वां स्थान
इस साल की रैंकिंग में भारतीय खनन विद्यालय (आईआईटी आईएसएम) धनबाद ने खनिज और खनन इंजीनियरिंग विषय में वैश्विक स्तर पर 20वां स्थान प्राप्त किया है, जिससे वह देश के शीर्ष संस्थान के रूप में उभरा है। इसके अलावा, आईआईटी दिल्ली ने इंजीनियरिंग में 26वां और आईआईटी मुंबई ने प्रौद्योगिकी में 28वां स्थान हासिल किया। यह भारतीय तकनीकी शिक्षा संस्थानों के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
आईआईएम की रैंकिंग में गिरावट
व्यवसाय और प्रबंधन अध्ययन के क्षेत्र में आईआईएम अहमदाबाद और आईआईएम बेंगलुरु ने दुनिया के शीर्ष 50 में अपनी जगह बनाए रखी, लेकिन उनकी रैंकिंग में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। इस गिरावट के बावजूद, ये संस्थान वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित प्रबंधन शिक्षा प्रदान करने में अग्रणी बने हुए हैं।
क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग पांच प्रमुख संकेतकों पर आधारित होती है:
- एकेडमिक रेप्यूटेशन – शिक्षाविदों के बीच प्रतिष्ठा।
- एम्पलॉयर रेप्यूटेशन – कंपनियों और नियोक्ताओं के बीच संस्थान की साख।
- रिसर्च प्रति पेपर – प्रकाशित शोध पत्रों की गुणवत्ता।
- एच-इंडेक्स – शोधकर्ताओं के प्रभाव का आकलन।
- इंटरनेशनल रिसर्च नेटवर्क – अंतरराष्ट्रीय शोध सहयोग।
भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष 79 भारतीय विश्वविद्यालयों ने 533 बार विभिन्न श्रेणियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 25.7% अधिक है। इससे स्पष्ट होता है कि भारत की शिक्षा प्रणाली लगातार विकसित हो रही है और वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान मजबूत कर रही है।
श्रेणियों में भारतीय विश्वविद्यालयों की स्थिति
- कला और मानविकी: दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी और आईआईटी बॉम्बे ने शीर्ष 200 में स्थान पाया।
- जीवन विज्ञान और चिकित्सा: एम्स दिल्ली 226वीं रैंक के साथ इस सूची में सबसे ऊपर रहा।
भारत इस वर्ष नए संस्थानों के रैंकिंग में शामिल होने के मामले में चीन, अमेरिका, यूके और कोरिया के बाद पांचवें स्थान पर है। यह संकेत देता है कि भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली का आकार और गुणवत्ता दोनों में निरंतर सुधार हो रहा है।