रांची में पानी का संकट लगातार बढ़ता जा रहा है. पिछले साल सामान्य से 17% अधिक बारिश होने के बावजूद भू-गर्भ जलस्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. मार्च की शुरुआत होते ही शहर और गांवों में बोरवेल फेल होने लगे हैं. कई इलाकों में 400 फीट गहरे बोरवेल भी सूख चुके हैं, जिससे लोग नया बोरिंग करा रहे हैं. लेकिन हालात ऐसे हो गए हैं कि 1000 फीट गहरे बोरिंग करने पर भी पानी नहीं मिल रहा है. बोरवेल मशीन संचालकों के अनुसार, रांची में पहले से ही 12 ड्राई जोन थे, लेकिन अब 10 नए ड्राई जोन जुड़ गए हैं. इससे शहर के कई हिस्सों में नए बोरवेल भी सफल नहीं हो रहे हैं.
रांची में कहां-कहां बढ़ा जल संकट?
केंद्रीय भूमि जल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, रांची के 19 स्थानों पर भू-गर्भ जलस्तर का सर्वे किया गया था. इसमें खलारी और ओरमांझी का क्षेत्र सेमी-क्रिटिकल जोन में, जबकि रांची शहरी क्षेत्र और सिल्ली का इलाका क्रिटिकल जोन में आ गया है. यह साफ संकेत है कि रांची और उसके आसपास भू-गर्भ जलस्तर काफी नीचे चला गया है. शहर में जिन इलाकों में 1000 फीट तक बोरिंग करने पर भी पानी नहीं मिल रहा है, उनमें शामिल हैं:
• बजरा
• कटहल मोड़
• अरगोड़ा
• पंडरा
• झिरी
वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में जहां 700 फीट तक बोरिंग असफल हो रहे हैं, वे हैं:
• रातू
• नगड़ी
रांची में पहले से मौजूद ड्राई जोन
रांची में पहले से ही कई इलाके ड्राई जोन घोषित किए जा चुके थे. इनमें शामिल हैं:
• रातू रोड
• मोरहाबादी
• बोड़ेया
• पंडरा
• पिस्कामोड़
• पहाड़ी टोला
• पुंदाग
• अरगोड़ा
• कटहल मोड़
• हरमू रोड
• डोरंडा
• एमजी रोड (मेन रोड)
अब इन इलाकों के साथ-साथ रिंग रोड के आसपास का क्षेत्र भी नए ड्राई जोन में शामिल हो चुका है.
भू-गर्भ जलस्तर गिरने के कारण
विशेषज्ञों के अनुसार, रांची में अच्छी बारिश होने के बावजूद जल संरक्षण की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण भू-गर्भ जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है. इसके तीन प्रमुख कारण हैं:
अत्यधिक जल दोहन
आवासीय, व्यावसायिक और औद्योगिक स्तर पर भू-गर्भ जल का जरूरत से ज्यादा दोहन किया जा रहा है. शहर में सरफेस वाटर (तालाब, झील) को बचाने की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है, जिससे जल संकट बढ़ता जा रहा है.
वर्षा जल संरक्षण की कमी
• रांची पहाड़ी क्षेत्र में बसा है, जिससे बारिश का पानी सीधे बहकर निकल जाता है और भू-गर्भ में नहीं रुकता.
• जल संरक्षण के लिए मुकम्मल उपाय नहीं किए गए हैं.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग की अनदेखी
• रांची शहर में लगभग 2.25 लाख घर हैं, लेकिन इनमें से मात्र 40,000 घरों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मौजूद है.
• सरकार की ओर से इस पर सख्ती नहीं बरती जा रही है, जिससे जल संकट और गहराता जा रहा है.
अगर जल संकट पर सख्ती नहीं हुई, तो रांची बन सकता है रेगिस्तान
रांची में जल संकट को लेकर भू-गर्भ शास्त्री डॉ. नीतीश प्रियदर्शी ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही जल संरक्षण के सख्त कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में रांची रेगिस्तान में तब्दील हो सकता है. उन्होंने बताया कि 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गए एक सर्वे में यह स्पष्ट किया गया था कि रांची की जमीन के नीचे ठोस चट्टानें मौजूद हैं, जिससे अधिक गहराई तक बोरिंग करने पर भी पानी मिलने की संभावना बहुत कम है.
समाधान क्या हो सकते हैं?
रांची में जल संकट से निपटने के लिए निम्नलिखित उपायों को तुरंत अपनाने की जरूरत है:
• रेन वाटर हार्वेस्टिंग को अनिवार्य किया जाए
• नए निर्माणों में इसे लागू करने के साथ-साथ पुराने घरों में भी सिस्टम लगाने की व्यवस्था की जाए.
• सरकारी भवनों में भी बड़े स्तर पर जल संरक्षण प्रणाली विकसित की जाए.
झीलों और तालाबों का पुनरुद्धार
• शहर में तेजी से खत्म हो रही झीलों और तालाबों का पुनरुद्धार किया जाए.
• पुराने जलस्रोतों की खुदाई और गहरीकरण किया जाए, ताकि बारिश का पानी संचित हो सके.
सरकार द्वारा भू-गर्भ जल दोहन पर सख्ती
• अनावश्यक बोरिंग को रोका जाए और पानी के अत्यधिक उपयोग पर कड़े नियम लागू किए जाएं.
• व्यावसायिक प्रतिष्ठानों और उद्योगों के लिए वाटर रीसाइक्लिंग सिस्टम को अनिवार्य किया जाए.