साइबर ठगी में झारखंड और बिहार आगे, तीसरे नंबर पर देवघर….

देश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों ने सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है. नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 74 जिलों को साइबर अपराध के ‘हॉटस्पॉट’ के रूप में चिह्नित किया गया है. इन जिलों में से झारखंड के सात और बिहार के दस जिले शामिल हैं. खास बात यह है कि झारखंड का देवघर साइबर ठगी में देशभर में तीसरे स्थान पर है, जबकि बिहार का नालंदा पांचवें स्थान पर है.

देवघर तीसरे नंबर पर, जामताड़ा गिरकर 14वें स्थान पर

एक समय था जब जामताड़ा साइबर ठगी का सबसे बड़ा गढ़ माना जाता था. देशभर में ठगी के मामले अधिकतर वहीं से जुड़े होते थे. जामताड़ा के साइबर अपराधियों ने इतनी ठगी की कि वहां की पहचान ही साइबर क्राइम के रूप में होने लगी थी. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में पुलिस और साइबर क्राइम टीम की लगातार कार्रवाई के चलते ठगों ने अपने ठिकाने बदल लिए हैं. अब देवघर, रांची, दुमका, धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग साइबर ठगों के नए ठिकाने बन गए हैं. जामताड़ा, जो कभी नंबर 1 था, अब 14वें स्थान पर पहुंच गया है.

साइबर ठगों के लिए नया अड्डा बने ये जिले

रिपोर्ट के अनुसार, देश में सबसे ज्यादा साइबर ठगी के मामले हरियाणा के नूह जिले से जुड़े हैं, जहां 4717 संदिग्ध मोबाइल नंबर सक्रिय हैं. इसके बाद राजस्थान का डीग (3463 नंबर) दूसरे स्थान पर है. झारखंड का देवघर 2604 सक्रिय नंबरों के साथ तीसरे स्थान पर आ गया है. चौथे नंबर पर राजस्थान का अलवर (2295 नंबर) और पांचवें नंबर पर बिहार का नालंदा (2087 नंबर) है. ये सभी जिले अब साइबर अपराधियों के नए गढ़ के रूप में उभर रहे हैं.

बिहार में भी साइबर ठगी के मामले बढ़े

बिहार में भी साइबर ठगों का नेटवर्क तेजी से फैल रहा है. नालंदा जिले में 2087 संदिग्ध मोबाइल नंबर सक्रिय हैं, जो ठगी के लिए इस्तेमाल किए जा रहे हैं. इसके अलावा नवादा में 2052, पटना में 880, शेखपुरा में 611, पश्चिम चंपारण में 198, जमुई में 181, गया में 178, बांका में 156, पूर्वी चंपारण में 144 और बेगूसराय में 120 संदिग्ध नंबर एक्टिव हैं. इसका मतलब है कि बिहार में साइबर अपराधियों की जड़ें गहरी होती जा रही हैं और यहां के कई जिले ठगी के हब बन चुके हैं.

रांची में 257 संदिग्ध मोबाइल नंबर सक्रिय

झारखंड की राजधानी रांची में भी साइबर ठगी के मामले बढ़े हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि यहां 257 संदिग्ध मोबाइल नंबर सक्रिय हैं, जिनका इस्तेमाल ठगी के लिए किया जा रहा है. यही नहीं, राज्य के कई अन्य जिलों में भी ऐसे नंबरों की मौजूदगी बताई जा रही है.

कैसे होती है साइबर ठगी?

साइबर ठग लोगों को फोन कॉल, मैसेज और ईमेल के जरिए ठगते हैं. वे बैंक अधिकारी, सरकारी कर्मचारी या किसी प्रतिष्ठित कंपनी के प्रतिनिधि बनकर लोगों से उनके बैंक डिटेल्स, ओटीपी और अन्य संवेदनशील जानकारी मांगते हैं. कई बार वे निवेश, लॉटरी, सरकारी योजनाओं या फर्जी कस्टमर केयर कॉल के नाम पर भी लोगों को धोखा देते हैं.

पुलिस और सरकार की चुनौतियां

देश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस और साइबर सुरक्षा एजेंसियां लगातार कार्रवाई कर रही हैं. लेकिन ठगों का नेटवर्क इतना फैला हुआ है कि वे बार-बार अपने ठिकाने बदल लेते हैं. झारखंड और बिहार के कई जिलों में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन ठगी का धंधा रुकने का नाम नहीं ले रहा.

क्या करें ताकि साइबर ठगी से बचा जा सके?

• अनजान कॉल और मैसेज से बचें – किसी भी अनजान नंबर से आए कॉल या मैसेज में मांगी गई जानकारी न दें.

• बैंक डिटेल्स और ओटीपी साझा न करें – बैंक कभी भी फोन पर ओटीपी या पासवर्ड नहीं मांगता, इसलिए किसी को भी ये जानकारी न दें.

• फर्जी ऑफर और लॉटरी से बचें – किसी भी इनाम या ऑफर की सच्चाई पहले जांच लें.

• कस्टमर केयर नंबर हमेशा ऑफिशियल वेबसाइट से लें – गूगल पर दिखने वाले किसी भी नंबर पर भरोसा न करें.

• संदिग्ध गतिविधियों की रिपोर्ट करें – अगर आपको लगे कि कोई आपको ठगने की कोशिश कर रहा है, तो तुरंत पुलिस या साइबर सेल में शिकायत करें.

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