गिरिडीह से लीक हुआ जैक 10वीं का प्रश्न पत्र, कोडरमा पुलिस ने आरोपियों को किया गिरफ्तार…..

झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की 10वीं की परीक्षा का प्रश्न पत्र गिरिडीह से लीक हुआ था. कोडरमा पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए मास्टरमाइंड सहित छह आरोपियों को गिरिडीह के न्यू बरगंडा इलाके से गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों में मास्टरमाइंड कमलेश कुमार, रोहित कुमार, मुकेश कुमार उर्फ धौनी, लालमोहन कुमार, अंशु कुमार पांडेय और कृष्ण कुमार पांडेय शामिल हैं. इसके अलावा पुलिस ने मुंबई से गुलाम और कर्नाटक से मूक-बधिर प्रिंस राणा को भी हिरासत में लिया है.

प्रेमिका को पास कराने के लिए रची साजिश

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि इस पेपर चोरी के पीछे एक दिलचस्प कहानी छिपी थी. 12वीं के छात्र कमलेश कुमार ने अपनी प्रेमिका को पास कराने के लिए यह योजना बनाई थी. उसने अपने दोस्त मुकेश कुमार उर्फ धौनी के साथ मिलकर परीक्षा से पहले ही प्रश्न पत्र चुरा लिया था. दोनों ने मजदूरों के रूप में काम करते हुए स्ट्रांग रूम तक पहुंच बनाई और 7 फरवरी को ट्रक से उतारी जा रही परीक्षा सामग्री के बीच से हिंदी और विज्ञान के प्रश्न पत्रों का बंडल ब्लेड से काटकर निकाल लिया. इसके बाद दोनों आरोपियों ने प्रश्न पत्रों का पीडीएफ तैयार किया और उन्हें बेचने का सिलसिला शुरू कर दिया. इन्होंने रांची, गिरिडीह और कोडरमा समेत कई शहरों के कोचिंग सेंटरों में प्रश्न पत्र बेचे. इसके अलावा, एक शिक्षक को भी प्रश्न पत्र बेचा गया था. बाद में यह पेपर पूरे राज्य में वायरल हो गया.

असुरक्षित परीक्षा सामग्री, बड़ी लापरवाही उजागर

इस मामले ने परीक्षा प्रक्रिया में भारी लापरवाही को उजागर कर दिया है. परीक्षा सामग्री को परीक्षा केंद्रों तक सुरक्षित पहुंचाने की जिम्मेदारी अधिकारियों की थी, लेकिन उनकी चूक की वजह से यह बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ. 7 फरवरी को गिरिडीह पहुंची परीक्षा सामग्री को स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखने के दौरान अनलोडिंग की प्रक्रिया में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी. रांची से 10 फरवरी को भेजी गई परीक्षा सामग्री बिना किसी कड़ी सुरक्षा के ट्रक में रखी गई थी, जहां गाड़ी का ड्राइवर भी सोया हुआ था. ऐसे में कोई भी ब्लेड से पैकिंग काटकर प्रश्न पत्र चुरा सकता था. सुरक्षा के अभाव में ही छात्रों ने मजदूर बनकर पेपर चुरा लिया और इसे लीक कर दिया.

छात्रों को मजदूर बनाकर परीक्षा सामग्री उतारने की दी गई थी जिम्मेदारी

गिरफ्तार किए गए सभी आरोपी 10वीं और 12वीं के छात्र हैं, जो पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए कभी-कभी मजदूरी भी करते थे. इन छात्रों को परीक्षा सामग्री अनलोडिंग के दौरान मजदूरों की तरह काम पर लगाया गया था. यह सवाल उठता है कि बिना किसी उचित पहचान पत्र या कागजी कार्यवाही के परीक्षा सामग्री के साथ बाहरी लोगों को काम पर क्यों लगाया गया? स्ट्रांग रूम के इंचार्ज जिला कोषागार पदाधिकारी अनंत मिश्रा थे, जबकि वज्रगृह के प्रभारी इंचार्ज लिपिक राहुल चंद्रा थे. इनके साथ नौ सरकारी शिक्षकों को भी ड्यूटी पर तैनात किया गया था. इसके बावजूद यह लापरवाही कैसे हुई? सवाल यह भी है कि अगर परीक्षा सामग्री को संभालने का काम किसी ठेका एजेंसी को दिया गया था, तो उसकी जांच क्यों नहीं की गई?

परीक्षा से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ प्रश्न पत्र

इस मामले में सबसे बड़ी चूक यह रही कि परीक्षा से पहले ही 18 फरवरी को हिंदी और 20 फरवरी को होने वाली विज्ञान की परीक्षा का प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इस लीक के कारण झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) को दोनों परीक्षाएं रद्द करनी पड़ीं.

सीबीआई जांच की मांग, राज्यपाल को सौंपे गए सबूत

पेपर लीक मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड लोक कल्याण मंच (जेएलकेएम) के उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. उन्होंने सोमवार को राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार से मुलाकात कर पेपर लीक से संबंधित सबूत सौंपे. महतो ने राज्यपाल से फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई कराने और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग की. उन्होंने शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन को इस मामले में श्वेत पत्र जारी करने का निर्देश देने का आग्रह किया. साथ ही जैक के अध्यक्ष और सचिव को तत्काल निलंबित करने और जेपीएससी के अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग की. महतो ने यह भी बताया कि उन्होंने 19 फरवरी को ही जैक सचिव को पेपर लीक से संबंधित सबूत सौंपे थे, लेकिन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई.

सुरक्षा चूक के बड़े सवाल

इस पूरे मामले में कई बड़े सवाल खड़े हो गए हैं:

• बिना किसी उचित पहचान के परीक्षा सामग्री अनलोड करने के लिए छात्रों को मजदूर के रूप में क्यों लगाया गया?

• परीक्षा सामग्री के दौरान सुरक्षा व्यवस्था इतनी कमजोर क्यों थी कि कोई भी ब्लेड से बंडल काटकर पेपर चुरा सकता था?

• स्ट्रांग रूम में सीसीटीवी कैमरा क्यों नहीं लगाया गया था?

• अनलोडिंग के समय कोई वीडियो रिकॉर्डिंग क्यों नहीं की गई?

• जैक अधिकारियों ने पहले से मिले इनपुट के बावजूद क्यों कोई कार्रवाई नहीं की?

अब इस मामले में आगे की कार्रवाई और सीबीआई जांच पर नजरें टिकी हैं. सरकार और प्रशासन पर दबाव बढ़ गया है कि वे दोषियों को सख्त सजा दें और परीक्षा प्रणाली को सुरक्षित बनाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं.

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