भगवान भरोसे मरीज: झारखंड में 91 करोड़ की लागत से बने 55 अस्पताल बेकार…..

झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा का एक और उदाहरण सामने आया है. राज्य के 11 जिलों में 91 करोड़ रुपये की लागत से 55 अस्पतालों का निर्माण तो किया गया, लेकिन वे या तो शुरू ही नहीं हुए या फिर इस्तेमाल के बिना जर्जर हो गए. इनमें से कई अस्पताल ऐसे स्थानों पर बना दिए गए हैं, जहां मरीजों और डॉक्टरों का पहुंचना ही मुश्किल है. कुछ अस्पतालों में ग्रामीण अब गाय-भैंस पालने लगे हैं, जबकि कई भवन सालों से बंद पड़े हैं. सबसे चौंकाने वाला मामला पलामू जिले के हरिहरगंज का है, जहां बतरे नदी के बीचो-बीच एक उप-स्वास्थ्य केंद्र बना दिया गया. बारिश के मौसम में यह अस्पताल आधा डूब जाता है, जिससे मरीजों का यहां पहुंचना असंभव हो जाता है. इस मामले में पलामू के उपायुक्त शशि रंजन ने जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की बात कही है.

पलामू का अजब कारनामा: नदी के बीच बना दिया अस्पताल

हरिहरगंज के जहाना गांव के पास बतरे नदी के बीच बने अस्पताल की स्थिति ऐसी है कि यहां न तो डॉक्टर पहुंच सकते हैं और न ही मरीज. गर्मियों में भी यहां पहुंचना मुश्किल होता है, जबकि बारिश में यह पूरी तरह जलमग्न हो जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह अस्पताल केवल कागजों पर ही संचालित हो रहा है.

पलामू के सतबरवा में भी 4 करोड़ की बर्बादी

पलामू के सतबरवा में 4 करोड़ रुपये की लागत से 18 कमरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था. वर्ष 2008 में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री भानु प्रताप शाही और विधायक रामचंद्र सिंह ने इसका शिलान्यास किया था. चार साल में निर्माण कार्य पूरा हुआ, लेकिन अस्पताल कभी शुरू ही नहीं हुआ. अब प्रशासन इस भवन को अनुपयोगी बताकर 10 करोड़ की लागत से दो किमी दूर नया अस्पताल बना रहा है.

राज्यभर में बेकार पड़े अस्पतालों की स्थिति

जिला | अस्पताल भवन | लागत | वर्षों से बेकार

• बोकारो | 16 | ₹45.84 करोड़ | 5 साल

• कोडरमा | 2 | ₹1.50 करोड़ | 15 साल

• जामताड़ा | 3 | ₹1.05 करोड़ | 15 साल

• पलामू | 2 | ₹4 करोड़ | 17 साल

• रामगढ़ | 5 | ₹1.68 करोड़ | 5 साल

• हजारीबाग | 2 | ₹8.57 करोड़ | 5 साल

• घाटशिला | 1 | ₹3 करोड़ | 15 साल

• चतरा | 1 | ₹2.50 करोड़ | 3 माह

• गढ़वा | 10 | ₹6.60 करोड़ | 3 साल

• लोहरदगा | 6 | ₹10 करोड़ | 13 साल

• लातेहार | 6 | ₹6 करोड़ | 2-22 साल

अस्पताल बने लेकिन डॉक्टर और सुविधाएं नहीं

राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर अस्पतालों का निर्माण तो करा दिया, लेकिन यहां डॉक्टर, टेक्नीशियन और अन्य आवश्यक सुविधाएं ही उपलब्ध नहीं हैं. कई अस्पतालों के अंदर बिजली-पानी तक नहीं है, जिससे वे धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो रहे हैं. लातेहार के गारू प्रखंड के एक अस्पताल का हाल तो यह है कि वहां अब ग्रामीण गाय-भैंस बांधकर रख रहे हैं. इसी तरह बोकारो और हजारीबाग में भी करोड़ों की लागत से बने अस्पताल सालों से खाली पड़े हैं.

स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही से जनता परेशान

राज्य में डॉक्टरों और टेक्नीशियनों की भारी कमी है, जिससे इन अस्पतालों का संचालन नहीं हो पा रहा. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरीजों को 50-100 किमी दूर तक इलाज के लिए जाना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को पहले से मौजूद अस्पतालों को चालू करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि हर बार नया निर्माण कर जनता के पैसों की बर्बादी करनी चाहिए.

क्या कहते हैं अधिकारी?

पलामू के उपायुक्त शशि रंजन ने बताया कि नदी के बीच बने अस्पताल की जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. वहीं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ और डॉक्टरों की कमी के कारण अस्पताल चालू नहीं हो पा रहे हैं.

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