14वीं भारतीय छात्र संसद में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने अपने प्रेरणादायक संबोधन से छात्र-छात्राओं और अन्य गणमान्य लोगों का दिल जीत लिया। अपने संवादात्मक और प्रभावशाली वक्तव्य के दौरान उन्होंने न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर्स जैसे जटिल विषय पर विस्तृत चर्चा की और इसे बेहद सरल भाषा में समझाकर युवाओं को जागरूक किया।
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मंत्री जी ने विशेष रूप से युवाओं में बढ़ती हृदय संबंधी समस्याओं पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में युवा वर्ग में हार्ट अटैक के मामलों में अप्रत्याशित वृद्धि देखी जा रही है। इस पर गहराई से मंथन करने की जरूरत है, क्योंकि कई विशेषज्ञ इस वृद्धि का कारण कोविड-19 के दौरान ली गई वैक्सीन के संभावित साइड इफेक्ट्स को मान रहे हैं। उन्होंने इस विषय पर विस्तृत शोध और जांच की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि सही निष्कर्ष तक पहुंचा जा सके और भविष्य में इस तरह की समस्याओं से बचा जा सके।
एक डॉक्टर और जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी भूमिका को स्पष्ट करते हुए डॉ. अंसारी ने कहा, “एक चिकित्सक होने के नाते मेरा पहला कर्तव्य अपने मरीज की जान बचाना है, और एक जनसेवक होने के नाते मेरी जिम्मेदारी पूरे समाज की भलाई सुनिश्चित करना है। मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है, और हमें इसी भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।”
उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि प्रत्येक छात्र को अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त करने के साथ-साथ समाज की सेवा का संकल्प लेना चाहिए। डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासक या कोई भी पेशा हो, अगर उसमें सेवा भाव जुड़ जाए, तो वही सच्ची सफलता है।
डॉ. इरफान अंसारी का यह सारगर्भित और जोशीला संबोधन न सिर्फ छात्रों को नई ऊर्जा से भर गया, बल्कि यह भी दर्शाया कि एक कुशल डॉक्टर और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि की भूमिका को कैसे प्रभावी ढंग से निभाया जा सकता है। इतने बड़े मंच से अपने विचार साझा करने का अनुभव उनके लिए भी विशेष रहा, और उन्होंने इसे युवाओं के लिए एक नए दृष्टिकोण और प्रेरणा का स्रोत बताया।