रिम्स में आयुष्मान से इलाज में अड़चन, ट्रांसफर ऑप्शन न होने से इलाज में हो रही देरी…..

राज्य सरकार की सबसे बड़ी कल्याणकारी योजना आयुष्मान भारत- मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ लेने में रिम्स के भर्ती मरीजों को बड़ी परेशानी हो रही है. खासकर, उन मरीजों को जिनको एक विभाग से दूसरे विभाग में शिफ्ट किया जाता है. उदाहरण के तौर पर, यदि किसी मरीज को न्यूरोसर्जरी विभाग में ब्रेन संबंधी समस्या के इलाज के लिए भर्ती किया गया है और बाद में उसे हृदय से संबंधित बीमारी के लिए कार्डियोलॉजी विभाग में शिफ्ट किया जाता है, तो मरीज को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसकी वजह यह है कि आयुष्मान पोर्टल में पेशेंट को ट्रांसफर करने का ऑप्शन ही नहीं है.

आयुष्मान पोर्टल में ट्रांसफर का ऑप्शन न होने से मरीजों को हो रही परेशानी

इसका परिणाम यह होता है कि ऐसे मरीज को पहले न्यूरोसर्जरी विभाग से डिस्चार्ज लिया जाता है, फिर उसे कार्डियोलॉजी विभाग में भर्ती करना पड़ता है. इसके बाद आयुष्मान के लिए दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है. यह प्रक्रिया इतनी लंबी और जटिल होती है कि गंभीर मरीजों का इलाज शुरुआती दो से तीन दिन तक प्रभावित हो जाता है. आयुष्मान में रजिस्ट्रेशन के बाद ही किसी अधिकारी से अप्रूवल मिलने पर मरीज का इलाज शुरू होता है. इसका मतलब यह है कि रिम्स में भर्ती मरीजों को आयुष्मान का लाभ लेने के लिए एक विभाग से डिस्चार्ज होकर दोबारा दूसरे विभाग में एडमिशन लेना पड़ता है.

डिस्चार्ज होकर दूसरे विभाग में भर्ती होने पर ही मिलेगा आयुष्मान का लाभ

रिम्स में इलाज के लिए आयुष्मान योजना के तहत भर्ती मरीजों को कई तरह की जांचें निःशुल्क मिलती हैं. लेकिन, जब एक मरीज को किसी दूसरे विभाग में शिफ्ट किया जाता है, तो आयुष्मान एक्टिव होने में कम से कम 48 से 72 घंटे का समय लगता है. इस दौरान मरीज को अपनी जेब से पैसे खर्च करने पड़ते हैं, या फिर आयुष्मान एक्टिव होने का इंतजार करना पड़ता है. रिम्स के आंकड़ों के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाजरत लगभग 20 से 25 मरीजों को प्रत्येक दिन एक से दूसरे विभाग में ट्रांसफर किया जाता है. इन सभी मरीजों को पहले विभाग से डिस्चार्ज लेकर फिर से नए विभाग में एडमिशन लेना पड़ता है. इस प्रक्रिया में आयुष्मान से जुड़े सभी रिकॉर्ड को फिर से अपडेट किया जाता है, जिससे मरीज का इलाज शुरू होने में 2 से 3 दिन का समय लग जाता है.

आयुष्मान की प्रक्रिया में देरी से हो रहा इलाज में असर

उदाहरण के तौर पर, जमुआरी (लातेहार) के निवासी बाल किशोर सिंह (49) को 23 जनवरी को न्यूरोसर्जरी से शिफ्ट किया गया था. आयुष्मान योजना के तहत उनका इलाज शुरू होने में तीन दिन का समय लग गया. इसी तरह लोधमा निवासी सुमन देवी (36) को ब्रेन में चोट लगने के कारण न्यूरोसर्जरी विभाग में भर्ती किया गया था, जहां उन्हें करीब 7 दिन आईसीयू में रखा गया और सर्जरी की गई. फिर, बेहतर इलाज के लिए उन्हें सुपर स्पेशियलिटी आईसीयू में शिफ्ट किया गया, लेकिन शिफ्ट होने के तीन दिन बाद भी उनका आयुष्मान एक्टिव नहीं हुआ था.

आयुष्मान पोर्टल में ट्रांसफर का कोई प्रावधान नहीं

रिम्स के पीआरओ डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि आयुष्मान पोर्टल में ट्रांसफर का कोई प्रावधान नहीं है, जिस कारण मरीज के इलाज से संबंधित सभी क्लेम फंस जाते हैं. ऐसे में मरीज को डिस्चार्ज कर नए सिरे से आयुष्मान में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है, जिससे इलाज की प्रक्रिया में देरी हो जाती है.

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