झारखंड के सभी अस्पतालों के लिए सख्त आदेश, नर्सों और डॉक्टरों का निबंधन नहीं कराने पर रद्द होगी मान्यता….

झारखंड सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के लिए नए सख्त निर्देश जारी किए हैं. राज्य के अस्पतालों को अब अपने चिकित्सकों और नर्सों का अनिवार्य रूप से निबंधन कराना होगा, अन्यथा उनकी मान्यता रद्द कर दी जाएगी. स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत सभी अस्पतालों को पंजीकरण कराना आवश्यक होगा. अगर कोई निजी अस्पताल या नर्सिंग होम इस आदेश का पालन नहीं करता है, तो उनके लाइसेंस का नवीकरण नहीं होगा और उनकी मान्यता भी समाप्त की जा सकती है.

स्वास्थ्य विभाग ने जारी की चेतावनी

राज्य सरकार की इस नई नीति के तहत सभी निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. इसके अनुपालन में लापरवाही बरतने वाले संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. इस निर्णय को लागू करने की जिम्मेदारी सिविल सर्जनों को दी गई है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का सख्ती से पालन हो. सरकार की इस पहल का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाना और मरीजों को योग्य डॉक्टरों और प्रशिक्षित नर्सों की सेवाएं सुनिश्चित कराना है.

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत अनिवार्य पंजीकरण

इस आदेश को केंद्र सरकार के आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत लागू किया जा रहा है. इस मिशन के तहत, सभी सरकारी और निजी अस्पतालों को हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री (HFR) और हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री (HPR) पर पंजीकरण कराना जरूरी होगा.

क्या है हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री (HFR)?

  • यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जहां सभी अस्पतालों को अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दर्ज करनी होगी.
  • इससे सरकार को पता चलेगा कि कौन-सा अस्पताल कौन-कौन सी सेवाएं उपलब्ध कराता है.
  • मरीजों को सही जानकारी मिल सकेगी और उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी.

क्या है हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री (HPR)?

  • इसके तहत चिकित्सकों, नर्सों और अन्य मेडिकल स्टाफ का अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराया जाएगा.
  • इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अस्पतालों में योग्य और प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी ही कार्यरत हों.
  • यह कदम फर्जी डॉक्टरों और अनधिकृत स्वास्थ्यकर्मियों पर लगाम लगाने के लिए भी उठाया गया है.

कई अस्पतालों ने अब तक नहीं किया निबंधन, होगी सख्त कार्रवाई

स्वास्थ्य विभाग की इस योजना के तहत, राज्य के सभी निजी अस्पतालों को पहले ही इस बारे में सूचित किया जा चुका है. बावजूद इसके, कई अस्पतालों ने अब तक न तो अपने डॉक्टरों और नर्सों का पंजीकरण कराया है और न ही अपनी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी अपडेट की है. अब स्वास्थ्य विभाग ने लापरवाह अस्पतालों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का फैसला किया है. विभाग ने साफ कर दिया है कि जो अस्पताल निबंधन नहीं कराएंगे, उनका क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत पंजीकरण निलंबित कर दिया जाएगा और उनका लाइसेंस नवीनीकरण भी नहीं किया जाएगा.

सिविल सर्जनों को दी गई बड़ी जिम्मेदारी

स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के सिविल सर्जनों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे सुनिश्चित करें कि उनके जिले के सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स इस आदेश का पालन करें. सिविल सर्जनों को निर्देश दिया गया है कि वे नियमित रूप से अस्पतालों का निरीक्षण करें और यह देखें कि वहां कार्यरत सभी चिकित्सकों और नर्सों का पंजीकरण हुआ है या नहीं. जो अस्पताल इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सीधे कार्रवाई की जाएगी.

आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन से जुड़े अस्पतालों को होगा फायदा

सरकार का मानना है कि इस पहल से झारखंड के सभी अस्पताल और नर्सिंग होम्स भारत के डिजिटल हेल्थ इकोसिस्टम से जुड़ जाएंगे. इसके कई फायदे होंगे, जैसे:

  1. डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड की सुविधा – मरीजों को अपने मेडिकल रिकॉर्ड ऑनलाइन एक्सेस करने में आसानी होगी.
  2. अस्पतालों की जानकारी डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी – मरीजों को अस्पतालों की सेवाओं की सही जानकारी मिलेगी.
  3. योग्य डॉक्टरों और नर्सों की पहचान संभव होगी – इससे फर्जी डॉक्टरों और अनियमितताओं पर रोक लगेगी.
  4. राष्ट्रीय स्तर पर अस्पतालों की पहचान बनेगी – इससे झारखंड के अस्पतालों को अधिक मरीज और बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी.
  5. स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा – मरीजों को सही अस्पताल और योग्य डॉक्टरों का चयन करने में आसानी होगी.

नए आदेश के पीछे सरकार की मंशा

झारखंड सरकार का यह कदम राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है. सरकार चाहती है कि सभी अस्पतालों में योग्य डॉक्टर और प्रशिक्षित नर्सें ही काम करें ताकि मरीजों को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं मिल सकें. इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाने के लिए यह पहल बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है. राज्य में फर्जी डॉक्टरों और बिना लाइसेंस वाले अस्पतालों पर रोक लगाने के लिए यह आदेश बेहद अहम साबित होगा.

क्या करना होगा अस्पतालों को?

  • जल्द से जल्द हेल्थ फैसिलिटी रजिस्ट्री (HFR) और हेल्थ प्रोफेशनल रजिस्ट्री (HPR) में पंजीकरण कराना होगा.
  • अपने डॉक्टरों, नर्सों और पारा-मेडिकल स्टाफ का आधिकारिक निबंधन कराना होगा.
  • राज्य सरकार के क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन करना होगा.
  • सिविल सर्जन कार्यालय में समय-समय पर अपनी रिपोर्ट जमा करनी होगी.

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