कहते हैं कि अगर किसी के अंदर कु छll क llर दिखाने का जुनून हो, तो वह किसी भी हालात में सफलता हासिल कर सकता है. यह बात झारखंड की होनहार बेटी मिताली सिन्हा पर बिल्कुल सटीक बैठती है. 10 घंटे की नौकरी के साथ-साथ कठिन परिश्रम और समर्पण से उन्होंने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) परीक्षा में पहले ही प्रयास में 60वीं रैंक हासिल कर एक बड़ा मुकाम हासिल किया. आजकल के युवा अक्सर समय की कमी का रोना रोते हैं और यह सोचते हैं कि अगर उन्हें थोड़ा और समय मिल जाता, तो वे भी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते थे. लेकिन मिताली की कहानी यह साबित करती है कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है.
बहन से मिली प्रेरणा, ठान लिया अधिकारी बनने का सपना
मिताली सिन्हा झारखंड के कोडरमा जिले के झुमरी तिलैया की रहने वाली हैं. उनकी सफलता की प्रेरणा उनकी बड़ी बहन शालिनी सिन्हा बनीं, जो धनबाद में डीआरएम ऑफिस में कार्यरत हैं. जब मिताली ने अपनी बहन को एक सरकारी कर्मचारी के रूप में सुविधाएं प्राप्त करते देखा, तो उन्होंने भी एक प्रतिष्ठित सरकारी अधिकारी बनने का सपना देखना शुरू किया. उनके मन में यह इच्छा इतनी प्रबल हो गई कि उन्होंने अपनी व्यस्त नौकरी के बावजूद BPSC की तैयारी शुरू कर दी. और नतीजा यह हुआ कि उन्होंने पहले ही प्रयास में सफलता प्राप्त कर ली.
शिक्षा की मजबूत नींव ने दी सफलता की दिशा
मिताली की पढ़ाई की बात करें, तो उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पीवीएसएस डीएवी पब्लिक स्कूल से प्राप्त की. साल 2015 में उन्होंने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की और फिर 2017 में जे.जे. कॉलेज, कोडरमा से इंटरमीडिएट (साइंस, बायोलॉजी) पूरा किया. इसके बाद, उन्होंने झारखंड कंबाइंड एंटरेंस कॉम्पिटेटिव एग्जाम में सफलता प्राप्त की और बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रांची में दाखिला लिया. यहां से उन्होंने एग्रीकल्चर ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री प्राप्त की. उनकी मेहनत यहीं नहीं रुकी. वर्ष 2022 में उन्होंने ICAR परीक्षा में 19वीं रैंक प्राप्त कर आनंद यूनिवर्सिटी, गुजरात में जेआरएफ फेलोशिप के तहत दाखिला लिया और फिर 2024 में एग्री बिजनेस में MBA की डिग्री पूरी की.
10 घंटे की नौकरी के साथ ऐसे की BPSC की तैयारी
MBA की पढ़ाई के अंतिम वर्ष में, मिताली को इंटर्नशिप के तहत एक कंपनी में प्रोजेक्ट पर काम करना था. यही नहीं, वह सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक ऑफिस में काम करती थीं, जिससे पढ़ाई के लिए समय निकालना बेहद मुश्किल हो जाता था. लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी. ऑफिस से लौटने के बाद रात में पढ़ाई करना उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया. वह अपने सपने को छोड़ना नहीं चाहती थीं और कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी. कई लोगों ने उन्हें सलाह दी कि दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद BPSC की तैयारी करना संभव नहीं है, लेकिन मिताली ने इसे गलत साबित कर दिया. उन्होंने ऑनलाइन स्टडी मटेरियल की मदद से अपनी तैयारी को जारी रखा. MBA की डिग्री पूरी करने के बाद, उन्हें गोड्डा के एक NGO में प्लेसमेंट मिला, जहां वह पिछले 6 महीनों से काम कर रही थीं. इस दौरान भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी और आखिरकार BPSC परीक्षा में सफलता प्राप्त की.
BPSC परीक्षा में सफलता और 60वीं रैंक हासिल करने का सफर
मिताली की सफलता इस बात का उदाहरण है कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उन्होंने BPSC परीक्षा में अपने पहले ही प्रयास में 60वीं रैंक हासिल कर अपनी मेहनत का फल पाया. उनकी इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि अगर कोई अपने सपनों के प्रति समर्पित हो, तो किसी भी कठिनाई को पार करके सफलता पाई जा सकती है.