झारखंड सरकार ने राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में प्लॉट आवंटन को लेकर सख्ती दिखाई है. सरकार ने उन उद्यमियों की जमीन वापस लेने का फैसला किया है, जिन्होंने उद्योग लगाने के नाम पर जमीन तो ली लेकिन वर्षों तक उस पर कोई काम नहीं किया. रांची समेत पूरे राज्य में इस संबंध में कार्रवाई शुरू कर दी गई है.
42 प्लॉट का आवंटन रद्द, 51 को नोटिस
झारखंड इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (जियाडा) ने रांची प्रक्षेत्र में उद्योग लगाने के लिए आवंटित 1889.80 एकड़ जमीन में से 42 प्लॉटों का आवंटन रद्द कर दिया है. वहीं, 51 उद्यमियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है कि क्यों न उनका आवंटन भी रद्द कर दिया जाए. जियाडा क्षेत्रीय निदेशक सुधीर कुमार के अनुसार, सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लघु एवं मध्यम उद्योग स्थापित हों, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सकें. लेकिन कई उद्यमियों ने सालों से जमीन लेकर कोई निर्माण कार्य शुरू नहीं किया.
976 इकाइयों को जमीन आवंटित, 559 ही सक्रिय
जियाडा के अनुसार, रांची प्रक्षेत्र में कुल 976 इकाइयों को जमीन आवंटित की गई थी, जिनमें से सिर्फ 559 इकाइयां ही कार्यरत हैं. बाकी जगहों पर या तो निर्माण शुरू नहीं हुआ या प्रक्रिया अधर में लटकी हुई है. सरकार अब ऐसी इकाइयों का आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया में है.
औद्योगिक प्लॉट के लिए सख्त नियम
औद्योगिक प्लॉट आवंटन के लिए स्पष्ट नियम बनाए गए हैं:
• सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के लिए आवंटन
• बड़े उद्योगों के लिए अलग प्रावधान
• एक निश्चित समयसीमा के भीतर उद्योग स्थापित करना अनिवार्य
• नियमों का उल्लंघन करने पर आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया लागू
किन क्षेत्रों में हुई कार्रवाई?
सरकार की इस कार्रवाई से राज्य के विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रों में हलचल मच गई है. अब तक इन क्षेत्रों में प्लॉट रद्द किए जा चुके हैं:
• तुपुदाना – 11 प्लॉट
• कोकर – 7 प्लॉट
• टाटीसिलवे – 1 प्लॉट
• पतरातू – 1 प्लॉट
• लोहरदगा – 4 प्लॉट
• हजारीबाग – 1 प्लॉट
• बरही – 3 प्लॉट
• नामकुम – 10 प्लॉट
• डालटनगंज – 3 प्लॉट
• साहेबगंज – 2 प्लॉट
• बेलचंपा – 2 प्लॉट
• कुल्ही – 1 प्लॉट
रैयतों को लौटाई जाएगी जमीन
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर कोई उद्योग स्थापित नहीं करता है, तो उनकी जमीन वापस लेकर जरूरतमंद उद्योगपतियों को दी जाएगी. जरूरत पड़ने पर वह जमीन मूल रैयतों को भी लौटाई जा सकती है.
कई उद्यमियों में मची हलचल
जिन उद्यमियों ने सालों पहले प्लॉट आवंटित करा लिए थे, लेकिन अब तक कोई निर्माण नहीं किया, वे सरकार के इस फैसले से परेशान हैं. कई उद्यमी अब अपने प्लॉट बचाने के लिए जियाडा से संपर्क कर रहे हैं. कुछ ऐसे भी हैं जो 20 साल पहले जमीन ले चुके हैं लेकिन वहां कोई काम नहीं किया. अब जब उनका आवंटन रद्द किया जा रहा है, तो वे इसे बचाने के लिए जुगाड़ में लगे हुए हैं.
सरकार का कड़ा रुख
सरकार का साफ कहना है कि औद्योगिक प्लॉट सिर्फ उद्योग लगाने के लिए दिए जाते हैं, न कि निजी संपत्ति की तरह रखने के लिए. यदि कोई तय समयसीमा के भीतर उद्योग स्थापित नहीं करता है, तो उसका आवंटन रद्द कर दिया जाएगा.