झारखंड में सरकारी जमीन के संरक्षण के लिए तीन चरणों में किया जाएगा सर्वे….

झारखंड सरकार राज्य में सरकारी जमीन को संरक्षित करने के लिए एक व्यापक कार्ययोजना तैयार कर रही है. इसके तहत हेमंत सोरेन सरकार एक सर्वे कराएगी, जिसे तीन चरणों में पूरा किया जाएगा. इस कार्ययोजना का उद्देश्य सरकारी जमीन को सुरक्षित करना, उसका सीमांकन करना और अतिक्रमण की समस्या का समाधान निकालना है. इस प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग एक विस्तृत योजना पर काम कर रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विभागीय मंत्री दीपक बिरुआ के बीच इस विषय पर चर्चा भी हो चुकी है. सरकार इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा करने के पक्ष में है और प्रस्ताव को अंतिम रूप देकर कैबिनेट की स्वीकृति के लिए भेजने की तैयारी कर रही है.

तीन चरणों में पूरा होगा सर्वे

सरकारी जमीन के संरक्षण के लिए सरकार ने तीन चरणों में सर्वे करने की योजना बनाई है. ये तीन चरण इस प्रकार हैं—

पहला चरण – जियोफेंसिंग:

पहले चरण में उन सरकारी जमीनों की पहचान की जाएगी, जो फिलहाल उपयोग में नहीं हैं. इन जमीनों की जियोफेंसिंग की जाएगी, जिससे उनकी सटीक सीमाओं को परिभाषित किया जा सके.

दूसरा चरण – सीमांकन:

दूसरे चरण में जिला प्रशासन की मदद से इन जमीनों का सीमांकन किया जाएगा. इसके तहत जमीन की सीमा निर्धारित करने के लिए पिलर लगाए जाएंगे.

तीसरा चरण – अतिक्रमण का समाधान:

तीसरे चरण में उन जमीनों की पहचान की जाएगी, जो अतिक्रमण की चपेट में आ चुकी हैं. इसके लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया जा रहा है, ताकि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से लागू किया जा सके.

क्या है जियोफेंसिंग और इसका महत्व?

जियोफेंसिंग एक आधुनिक तकनीक है, जिसके जरिए किसी विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र की सीमाओं को परिभाषित किया जाता है. इसके लिए GPS, Wi-Fi, मोबाइल नेटवर्क और अन्य तकनीकों का उपयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया में एक वर्चुअल बाउंड्री बनाई जाती है, जिससे यह निगरानी की जा सकती है कि कोई व्यक्ति या वाहन उस क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है या नहीं. सरकार इस तकनीक का उपयोग सरकारी जमीनों की सटीक पहचान और सुरक्षा के लिए कर रही है. यह विशेष रूप से अतिक्रमण रोकने में मददगार होगी. यदि किसी सरकारी जमीन पर अनाधिकृत गतिविधि होती है, तो जियोफेंसिंग सिस्टम अलर्ट भेज सकता है, जिससे समय पर कार्रवाई की जा सकेगी.

सीमांकन प्रक्रिया – मजबूत सुरक्षा उपायों पर जोर

सर्वे के दूसरे चरण में, जब जियोफेंसिंग के जरिए जमीन की सटीक जानकारी मिल जाएगी, तो जिला प्रशासन की मदद से सीमांकन किया जाएगा. इसके तहत जमीन की परिधि पर मजबूत पिलर खड़े किए जाएंगे, ताकि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. सरकार ने लोहे के छोटे पोल या फेंसिंग की जगह कंक्रीट के मजबूत पिलर लगाने का फैसला किया है, क्योंकि फेंसिंग को अक्सर लोग चोरी कर लेते हैं या उखाड़ देते हैं. पिलर तोड़ना आसान नहीं होता, जिससे यह व्यवस्था अधिक प्रभावी होगी.

तीसरे चरण में अतिक्रमण हटाने की योजना

सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण हटाने के लिए एक विशेष एसओपी (SOP) तैयार किया जा रहा है. इस एसओपी के जरिए हर जिले में सरकारी जमीनों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें यह बताया जाएगा कि कहां-कहां अतिक्रमण हुआ है और उसे कैसे हटाया जा सकता है. सरकार इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के लिए एक संयुक्त सर्वे टीम का गठन करेगी, जिसमें राजस्व विभाग, भूमि सुधार विभाग और तकनीकी विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा. यह टीम सर्वेक्षण करेगी और जमीन से जुड़े सभी तथ्यों को सरकार के सामने रखेगी.

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