राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) में झारखंड सरकार द्वारा भारी वित्तीय अनियमितता सामने आई है. हाल ही में हुई ऑडिट जांच में पता चला कि राज्य में 50 करोड़ रुपये के खर्च का कोई हिसाब नहीं है. यह गड़बड़ी वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में किए गए खर्च में पाई गई. यह रिपोर्ट रूरल हेल्थ मिशन सोसाइटी के निदेशक को सौंप दी गई है और इसमें स्वास्थ्य विभाग को गहन जांच कराने की अनुशंसा की गई है.
किन जिलों में हुई सबसे ज्यादा गड़बड़ी?
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, गिरिडीह, रामगढ़, कोडरमा, गोड्डा, देवघर, सरायकेला, पलामू, पूर्व सिंहभूम, सिमडेगा, धनबाद, साहिबगंज और लातेहार जिलों में सबसे अधिक वित्तीय गड़बड़ियां पाई गई हैं.
किस योजनाओं में हुई अनियमितता?
रिपोर्ट में बताया गया कि सबसे ज्यादा वित्तीय अनियमितता निम्नलिखित योजनाओं में पाई गई:
• जननी सुरक्षा योजना (JSY)
• राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK)
• महिला बंध्याकरण योजना
खरीद और भुगतान से संबंधित लेन-देन
- मोतियाबिंद ऑपरेशन पर खर्च हुए 13 करोड़, लेकिन कोई रिकॉर्ड नहीं
- वित्त वर्ष 2023-24 में राज्यभर में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर 12.95 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका कि यह पैसा किन मरीजों पर और कहां खर्च हुआ.
- गिरिडीह में 5.21 करोड़ रुपये खर्च का नहीं मिला कोई हिसाब
- गिरिडीह जिले में 5.21 करोड़ रुपये की वित्तीय गड़बड़ी पाई गई है. इसमें कई योजनाओं में अनियमितताएं मिलीं:
प्रेग्नेंसी रजिस्ट्रेशन और एंटी-नेटल चेकअप – 20.26 लाख रुपये
• जननी सुरक्षा योजना – 21.38 लाख रुपये
• महिला नसबंदी योजना – 1.65 करोड़ रुपये
• जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम – 35.31 लाख रुपये
• नेशनल रेबीज कंट्रोल प्रोग्राम – 32.42 लाख रुपये
इसके अलावा, गिरिडीह के तिसरी और देउरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) में क्रमशः 1.86 करोड़ और 2.14 करोड़ रुपये के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला.
पांच बड़े मामले जो उजागर हुए
1. डॉक्टरों के वेतन का पैसा अन्य कर्मचारियों के खाते में ट्रांसफर
रामगढ़ सदर अस्पताल में पांच ऑन-कॉल डॉक्टरों के वेतन के 66 लाख रुपये एक अन्य कर्मचारी के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए. यह गड़बड़ी पिछले तीन-चार सालों से चल रही थी.
2. लाभार्थियों के पैसे बीटीटी के खाते में भेजे गए
जननी सुरक्षा योजना (JSY) के लाभार्थियों के नाम पर बार-बार भुगतान दिखाया गया. कुल मिलाकर लगभग 30 लाख रुपये बीटीटी (ब्लॉक ट्रेनिंग टीम) के खाते में ट्रांसफर किए गए.
3. गोड्डा में 25.45 लाख रुपये अलग-अलग लाभुकों के नाम पर एक ही खाते में ट्रांसफर
गोड्डा के महागामा सीएचसी में 25.45 लाख रुपये का हिसाब नहीं मिला. यह राशि एक ही बैंक खाते में विभिन्न लाभार्थियों के नाम पर भेजी गई थी.
4. जिस फर्म का रजिस्ट्रेशन रद्द, उसे किया 16 लाख रुपये का जीएसटी भुगतान
देवघर में स्वास्थ्य विभाग ने एमएस बाबा टेंट एंड कैटरर से प्रशिक्षण सेवाएं लीं. यह फर्म 8 नवंबर 2022 को रद्द कर दी गई थी, लेकिन फिर भी 86.92 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया. इसके अलावा, 16.29 लाख रुपये जीएसटी क्लेम कर विभाग से ले लिए गए.
स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई क्या होगी?
यह रिपोर्ट राज्य के स्वास्थ्य विभाग को सौंप दी गई है, और अब यह देखना बाकी है कि इस पर कोई ठोस कार्रवाई की जाती है या नहीं. विभाग से इस पूरे मामले की गहन जांच करने की अनुशंसा की गई है, ताकि इस वित्तीय अनियमितता के दोषियों को पकड़ा जा सके.