बोकारो में झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना झारखंड मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना (JMMSY) के तहत लाभुकों के भौतिक सत्यापन में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. उपायुक्त विजया जाधव के निर्देश पर सामाजिक सुरक्षा विभाग द्वारा किए गए सत्यापन में पता चला कि एक ही बैंक खाता नंबर का उपयोग करके अलग-अलग नामों से कुल 95 बार आवेदन किया गया है.
फर्जीवाड़े का खुलासा
भौतिक सत्यापन के दौरान सामने आया कि सबसे अधिक आवेदन चास प्रखंड और चास नगर निगम क्षेत्र से किए गए, जहां से 67 बार आवेदन प्राप्त हुए. वहीं, गोमिया प्रखंड से 28 बार आवेदन किया गया. जांच में यह भी सामने आया कि इन आवेदनों के लिए सबसे अधिक बैंक खाते इंडसइंड बैंक में खोले गए थे. जांच अधिकारियों ने पाया कि ये सभी आवेदन पलामू जिले के डालटेनगंज (मेदनीनगर) स्थित सीएससी वीएलई (Common Service Center Village Level Entrepreneur) सुमीत कुमार के आईडी नंबर 542316220013 से किए गए थे. इस फर्जीवाड़े का मुख्य उद्देश्य सरकार की इस योजना के तहत अवैध रूप से वित्तीय लाभ प्राप्त करना था.
बैंक खाते की पहचान
सत्यापन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि जिन आवेदनों में बैंक खाता संख्या 100253387047 दर्ज किया गया था, वह खाता यूसुफ नामक व्यक्ति के नाम पर है, जिसका पता पतागोड़ा, बड़ाखांती, उत्तर दिनाजपुर, पश्चिम बंगाल दर्ज है. चौंकाने वाली बात यह है कि इसी बैंक खाते का उपयोग कुल 95 बार अलग-अलग नामों से योजना का लाभ लेने के लिए किया गया. इस दौरान जो राशन कार्ड नंबर जमा किए गए, वे भी फर्जी निकले. जिला आपूर्ति पदाधिकारी ने इस गड़बड़ी की पुष्टि की और इसे गंभीर अनियमितता करार दिया.
नामों में समान पैटर्न और तिथि का संयोग
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि फर्जी आवेदनों में जिन व्यक्तियों के नाम दर्ज किए गए थे, उनके उपनामों में “किस्कू”, “हांसदा” और “मुर्मू” जैसे शब्द जोड़े गए थे, जो कि झारखंड के आदिवासी समुदायों से जुड़े होते हैं. इसके अलावा, यह भी देखा गया कि 21 नवंबर 2024 को एक ही दिन में कई बार आवेदन किया गया. यह दर्शाता है कि यह फर्जीवाड़ा सुनियोजित ढंग से किया गया था और इसमें तकनीकी माध्यमों का दुरुपयोग किया गया.
कड़ी कार्रवाई के निर्देश
इस गंभीर अनियमितता को देखते हुए उपायुक्त विजया जाधव ने तत्काल खाता धारक के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, संबंधित अधिकारियों को इस मामले की गहन जांच करने और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए गए हैं.
स्वीकृति के बाद भी रोकी गई राशि
चौंकाने वाली बात यह है कि कई फर्जी आवेदनों को प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO) और अंचल अधिकारी (CO) स्तर से स्वीकृति भी मिल चुकी थी. लेकिन उपायुक्त द्वारा दिए गए निर्देशों के चलते सामाजिक सुरक्षा विभाग ने एक ही बैंक खाते से बार-बार किए गए आवेदनों की समीक्षा की और राशि हस्तांतरण पर रोक लगा दी. यदि यह अनियमितता पकड़ में नहीं आती, तो बड़ी संख्या में सरकारी राशि फर्जी लाभुकों के खाते में स्थानांतरित हो सकती थी.
जिले में मिले 11,200 डुप्लीकेट आवेदन
जांच के दौरान यह भी सामने आया कि जिले में कुल 11,200 डुप्लीकेट आवेदन प्राप्त हुए हैं. इन सभी आवेदनों का अब एक बार फिर आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा भौतिक सत्यापन कराया जा रहा है. सत्यापन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, जो भी फर्जी लाभार्थी होंगे, उन्हें चिन्हित कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.