झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार को खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले से जुड़े मामले में आईएएस पूजा सिंघल को बड़ी राहत दी है। अदालत ने इस मामले में पूजा सिंघल की भूमिका की सीबीआई जांच की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति दीपक रोशन की खंडपीठ ने इस याचिका को निष्पादित करते हुए कहा कि इसमें सुनवाई योग्य कोई मुद्दा शेष नहीं है। अदालत ने कहा कि मामले की जांच पहले से ही चल रही है, इसलिए इस याचिका पर आगे सुनवाई की आवश्यकता नहीं है।
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क्या है मामला?
यह जनहित याचिका अरुण कुमार दुबे ने दाखिल की थी, जिसमें वर्ष 2009-10 के दौरान खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में उस समय की डीसी पूजा सिंघल की भूमिका की सीबीआई जांच की मांग की गई थी। याचिका के तहत आरोप लगाया गया था कि इस घोटाले में करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई थी। हालांकि, झारखंड सरकार की ओर से पहले ही एसीबी (ACB) जांच चल रही है। इस मामले में कई प्राथमिकी दर्ज हैं और कुछ मामलों का ट्रायल भी जारी है।
कपिल सिब्बल ने उठाए थे याचिका की वैधता पर सवाल
पूर्व में इस याचिका की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इसे खारिज करने की अपील की थी। उन्होंने दलील दी थी कि जब मामले की जांच पहले से ही एसीबी के माध्यम से हो रही है, तो सीबीआई जांच की मांग करना उचित नहीं है।
सियासी विवाद भी गर्माया
पूजा सिंघल की बहाली को लेकर सियासी विवाद तेज हो गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उनकी बहाली पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि पूजा सिंघल के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट के पास से 16 करोड़ रुपये नकद बरामद किए थे। ऐसे में उन्हें जेल से बाहर आते ही बहाल करना हैरान करने वाला कदम है।
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस पर साधा निशाना
रविशंकर प्रसाद ने नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड सरकार और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस, जो राज्य सरकार का हिस्सा है, इस पर अपना रुख स्पष्ट करे। उन्होंने राहुल गांधी से भी सवाल किया कि वे ऐसे गंभीर मामले पर चुप क्यों हैं। भाजपा ने पूजा सिंघल की बहाली को झारखंड सरकार की विफलता करार दिया।
पूजा सिंघल की बहाली पर उठ रहे सवाल
गौरतलब है कि पूजा सिंघल को भ्रष्टाचार के आरोप में 2022 में गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 2023 में उन्हें जमानत मिली और 21 जनवरी 2024 को झारखंड सरकार ने उनका निलंबन समाप्त कर दिया। इसके बाद से उनकी बहाली को लेकर लगातार राजनीति गर्माई हुई है।
झारखंड हाई कोर्ट के फैसले से जहां पूजा सिंघल को राहत मिली है, वहीं इस मामले को लेकर राजनीतिक बहस और तेज होने की संभावना है।