झारखंड में हार्ट अटैक का इलाज: 13 जिलों में सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं की भारी कमी, हर दिन 4-6 मौतें….

दिल की बीमारी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है, और झारखंड में इसका इलाज करना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है. राज्य के 13 जिलों के सरकारी अस्पतालों में हार्ट अटैक के इलाज की व्यवस्था न होने से मरीजों को अन्य जिलों में इलाज के लिए भेजा जाता है, जिससे इलाज में देरी होती है और कई बार यह जानलेवा साबित होती है. हाल ही में की गई एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इन जिलों में हार्ट अटैक के इलाज के लिए न तो जरूरी उपकरण हैं और न ही विशेषज्ञ डॉक्टर. रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के 13 जिलों में हार्ट अटैक का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं. इन जिलों के सरकारी अस्पतालों में केवल सामान्य मेडिसिन डॉक्टर ही इलाज कर रहे हैं. खासकर रांची, बोकारो और जमशेदपुर जैसे प्रमुख शहरों को छोड़कर अन्य जिलों में हार्ट की सर्जरी संभव नहीं है. इसके परिणामस्वरूप, हर दिन औसतन 4 से 6 लोग हार्ट अटैक से मर रहे हैं. इसके अलावा, विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण इन जिलों के मरीजों को इलाज के लिए रांची और अन्य शहरों में भेजा जाता है, जिससे उनका इलाज समय पर नहीं हो पाता.

हार्ट अटैक के इलाज में देरी: जान का खतरा

हार्ट अटैक के लक्षण जैसे सीने में दर्द, बेचैनी, सांस लेने में तकलीफ आदि होते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि यदि इन लक्षणों के साथ कोई व्यक्ति अस्पताल पहुंचता है, तो तत्काल इलाज किया जाना चाहिए, क्योंकि पहले 30 मिनट से 2 घंटे तक का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान ब्लॉकेज हटाने से नुकसान 90% तक कम किया जा सकता है, जिससे मरीज का इलाज जल्दी हो सकता है. लेकिन झारखंड के अधिकांश जिलों में यह संभव नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, इन जिलों के सरकारी अस्पतालों में न तो एंजियोग्राफी की सुविधा है और न ही एंजियोप्लास्टी की, जो हार्ट अटैक के इलाज में अत्यंत महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं हैं. रांची में केवल यह सुविधाएं उपलब्ध हैं, जहां हर दिन 4 मरीजों को सर्जरी के लिए इंतजार करना पड़ता है और लगभग 5 मरीज एंजियोप्लास्टी के लिए कतार में रहते हैं. अगर 6 घंटे के भीतर मरीज को इलाज नहीं मिलता, तो स्थिति जटिल हो सकती है और मसल्स का नुकसान स्थायी हो सकता है, जिससे बाईपास सर्जरी या पेसमेकर की जरूरत पड़ सकती है. समय पर इलाज न मिलने से 14% से अधिक मरीजों की जान जा रही है, जो इस रिपोर्ट से सामने आया है.

13 जिलों में हार्ट अटैक का इलाज न होने की स्थिति

झारखंड के 13 जिलों में हार्ट अटैक का इलाज न होने के कारण मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि कई जिलों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है और सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए प्रयासरत है. सरकार जल्द ही सभी जिलों के सदर अस्पतालों में रांची की तर्ज पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति करेगी. रिपोर्ट के अनुसार, धनबाद, दुमका, गुमला और हजारीबाग जैसे जिलों में मेडिसिन डॉक्टर प्रारंभिक उपचार करते हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टर की कमी के कारण मरीजों को अन्य स्थानों पर भेजा जाता है. इन जिलों में एंजियोग्राफी तक की सुविधा नहीं है.

मंत्री की योजना: सुधार की दिशा में कदम

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि सरकार सभी मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के साथ जरूरी जांच की सुविधा शुरू करेगी, ताकि मरीजों को रांची या अन्य शहरों में इलाज के लिए भेजने की जरूरत न पड़े. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीर है और सभी कमियों की सूची बनाई जा रही है, जिसे जल्द ही दूर किया जाएगा.

हार्ट अटैक के इलाज के लिए वर्तमान स्थिति

वर्तमान में, झारखंड के सरकारी अस्पतालों में हार्ट अटैक के इलाज के लिए सुविधाएं सीमित हैं. रांची में सदर अस्पताल में हार्ट स्पेशलिस्ट मौजूद हैं, लेकिन बोकारो, जमशेदपुर, रामगढ़, कोडरमा, गुमला, हजारीबाग, खूंटी, चतरा, गिरिडीह, लोहरदगा, गढ़वा, धनबाद, दुमका, लातेहार और अन्य जिलों में हार्ट अटैक का इलाज नहीं हो पा रहा है. इसके परिणामस्वरूप, मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा और उनकी जान को खतरा हो रहा है.

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