हिंसा और तस्करी की शिकार महिलाओं के पुनर्वास के लिए झारखंड में खुलेगा ‘शक्ति सदन’…

झारखंड सरकार ने मानव तस्करी और हिंसा की शिकार महिलाओं के पुनर्वास और आत्मनिर्भरता के लिए एक बड़ी पहल की है. राज्य में चरणबद्ध तरीके से ‘शक्ति सदन’ नामक पुनर्वास केंद्र स्थापित किए जाएंगे. महिला, बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. पहले चरण में चार जिलों- रामगढ़, हजारीबाग, देवघर और पलामू में शक्ति सदन केंद्रों की स्थापना के लिए स्थानों का चयन कर लिया गया है. संबंधित जिलों को इसके लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं.

‘शक्ति सदन’ की विशेषताएं

शक्ति सदन केंद्रों में हर उम्र की 100 से अधिक महिलाओं और बच्चियों के रहने की व्यवस्था होगी. यहां महिलाओं को अधिकतम तीन साल तक रहने की अनुमति दी जाएगी. उन्हें रहने-खाने के साथ चिकित्सा और कानूनी सहायता प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, आत्मनिर्भर बनाने के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इस दौरान महिलाओं के नाम पर बैंक खाते खोले जाएंगे, जिसमें हर महीने ₹500 जमा किए जाएंगे. यह पैसा उनके शक्ति सदन से निकलने के बाद ही निकाला जा सकेगा.

मानव तस्करी के खिलाफ झारखंड की कार्रवाई

समाज कल्याण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, बीते चार वर्षों में झारखंड की 455 महिलाओं, युवतियों और बच्चियों को मानव तस्करों के चंगुल से बचाया गया है. इस वर्ष अब तक 30 लड़कियों को रेस्क्यू किया गया है. आंकड़ों के अनुसार, साहिबगंज और गुमला जिलों में तस्करी की घटनाएं सबसे अधिक हुई हैं. पिछले चार वर्षों में साहिबगंज से 106 और गुमला से 64 लड़कियों को मुक्त कराया गया है.

वन स्टॉप सेंटर की सीमाएं

फिलहाल राज्य में हिंसा और तस्करी की शिकार महिलाओं की मदद के लिए ‘वन स्टॉप सेंटर’ संचालित किए जा रहे हैं. इन सेंटरों में महिलाओं को चिकित्सीय, कानूनी और मनोवैज्ञानिक सहायता दी जाती है. लेकिन यहां महिलाओं को केवल पांच दिन तक रहने की अनुमति है. अधिक समय तक रुकने की आवश्यकता होने पर परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इसी कमी को दूर करने के लिए शक्ति सदन की स्थापना की जा रही है, जहां महिलाओं को तीन साल तक रहने की सुविधा मिलेगी.

केंद्र सरकार और राज्य सरकार का संयुक्त प्रयास

शक्ति सदन योजना केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त तत्वावधान में संचालित की जाएगी. यह योजना महिलाओं को हिंसा और तस्करी के दुष्चक्र से बाहर निकालकर उन्हें एक नई शुरुआत देने का प्रयास है. इसके तहत उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाने के साथ-साथ पुनर्वास के लिए आवश्यक कौशल भी सिखाए जाएंगे.

जिला स्तर पर आंकड़े

झारखंड में मानव तस्करी की स्थिति पर नजर डालें तो साहिबगंज, गुमला, गोड्डा, पश्चिम सिंहभूम और खूंटी जैसे जिलों में यह समस्या गंभीर है. साहिबगंज से 106, गुमला से 64, गोड्डा से 46, पश्चिम सिंहभूम से 57 और खूंटी से 33 लड़कियों को तस्करों के चंगुल से मुक्त कराया गया है. वहीं, अन्य जिलों में भी ऐसी घटनाएं सामने आई हैं.

पहले चरण में चार जिलों में केंद्र

शक्ति सदन योजना के तहत पहले चरण में रामगढ़, हजारीबाग, देवघर और पलामू में केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इन केंद्रों के संचालन की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी. इन जिलों में भूमि चयन का कार्य पहले ही पूरा हो चुका है.

महिलाओं को मिलेगा आत्मनिर्भरता का अवसर

शक्ति सदन में रहने वाली महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. उन्हें सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कंप्यूटर और अन्य कौशलों का प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपना जीवन यापन कर सकें. इसके साथ ही, उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से सशक्त बनाने के लिए काउंसलिंग की भी व्यवस्था की जाएगी.

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