जियाडा की सख्ती: उद्योग नहीं लगाने पर 42 प्लॉट का आवंटन रद्द, 51 को नोटिस….

झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (जियाडा) रांची प्रक्षेत्र ने प्लॉट लेकर उद्योग नहीं शुरू करने वाले उद्यमियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है. प्राधिकरण ने ऐसे 42 उद्यमियों का आवंटन रद्द कर दिया है, जिन्होंने आवंटित भूमि पर उद्योग स्थापित नहीं किया. साथ ही, 51 अन्य उद्यमियों को नोटिस जारी कर पूछा गया है कि क्यों न उनके प्लॉट का आवंटन भी रद्द कर दिया जाए. इस कार्रवाई से संबंधित उद्यमियों में हड़कंप मच गया है और वे जवाब देने के लिए जियाडा कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं.

जियाडा की कार्रवाई के आंकड़े

जियाडा ने रांची प्रक्षेत्र के औद्योगिक क्षेत्रों में 1889.80 एकड़ भूमि उद्योग स्थापित करने के लिए हस्तांतरित की है. अब तक कुल 976 इकाइयों को प्लॉट आवंटित किए गए हैं, जिनमें से केवल 559 इकाइयां ही संचालित हो रही हैं. बाकी प्लॉट्स पर निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है या प्रक्रिया अधूरी है.

किस क्षेत्र में कितने प्लॉट रद्द हुए:

• तुपुदाना: 11

• पतरातू: 01

• लोहरदगा: 04

• कोकर: 10

• हजारीबाग: 01

• बरही: 03

• नामकुम: 01

• टाटीसिलवे: 01

• डालटनगंज: 03

• साहेबगंज: 02

• बेलचंपा: 02

• कुल्ही: 01

उद्योग नहीं लगने पर होगी सख्त कार्रवाई

जियाडा रांची प्रक्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक सुधीर कुमार ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक क्षेत्रों में प्लॉट का आवंटन केवल उद्योग स्थापित करने के लिए किया जाता है, न कि जमीन रखने के लिए. सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अधिक से अधिक लघु और मध्यम उद्योग स्थापित हों, जिससे रोजगार के अवसर पैदा हो सकें. उन्होंने कहा कि कई उद्यमी प्लॉट आवंटित कराने के बाद भी वर्षों तक कोई काम शुरू नहीं करते. ऐसे मामलों में प्राधिकरण ने सख्ती बरतते हुए प्लॉट आवंटन रद्द करने का निर्णय लिया है. साथ ही, नोटिस का जवाब संतोषजनक न मिलने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.

क्या हैं प्लॉट आवंटन के नियम?

झारखंड सरकार द्वारा उद्योग लगाने के लिए प्लॉट आवंटन के लिए स्पष्ट प्रावधान हैं:

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME):

• प्लॉट आवंटन के दो साल के भीतर उद्योग स्थापित करना अनिवार्य है.

• ऐसा न करने पर आवंटन रद्द कर दिया जाएगा.

वृहद उद्योग:

• पांच साल के भीतर उद्योग स्थापित करना अनिवार्य है.

• यदि समय सीमा के भीतर उद्योग शुरू नहीं किया गया, तो सरकार एमओयू रद्द कर सकती है और जमीन वापस ले सकती है.

• आवश्यक होने पर वह जमीन रैयतों को वापस दी जा सकती है.

सरकार की मंशा

राज्य सरकार चाहती है कि झारखंड के औद्योगिक क्षेत्र पूरी तरह से विकसित हों और यहां के लोगों को अधिक से अधिक रोजगार के अवसर मिलें. प्लॉट पर उद्योग स्थापित न करने से भूमि का उचित उपयोग नहीं हो पाता और विकास की गति धीमी पड़ जाती है.

प्रभावित उद्यमियों में बेचैनी

जियाडा की इस सख्त कार्रवाई से उन उद्यमियों में बेचैनी फैल गई है, जिन्होंने अब तक अपने प्लॉट पर कोई उद्योग स्थापित नहीं किया है. कई उद्यमी अब अपने आवंटन बचाने के लिए प्राधिकरण से संपर्क कर रहे हैं.

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