झारखंड की राजनीति में एक बार फिर गठबंधन और संबंधों के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. झामुमो से भाजपा में गए पूर्व विधायक लोबिन हेंब्रम अब फिर से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के करीब आते दिख रहे हैं. हाल ही में उन्होंने झामुमो के संस्थापक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन से मुलाकात कर उन्हें उनके 81वें जन्मदिन पर बधाई दी और आशीर्वाद लिया. इस मुलाकात ने झारखंड की राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है.
झामुमो से भाजपा में गए थे लोबिन हेंब्रम
लोबिन हेंब्रम, जो पहले झामुमो के विधायक थे, ने 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था. उस समय उन्होंने झामुमो की सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ जमकर मोर्चा खोला था. लोबिन पार्टी में पंकज मिश्रा के बढ़ते प्रभाव से असंतुष्ट थे. पंकज मिश्रा को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का करीबी माना जाता है, और यही कारण था कि लोबिन ने सरकार और पार्टी का विरोध किया.
भाजपा में भी सफलता नहीं मिली
विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने लोबिन को बोरियो सीट से टिकट दिया, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा. झामुमो ने इस सीट से एक सामान्य कार्यकर्ता धनंजय सोरेन को उतारा, जिन्होंने बाजी मार ली. इस हार ने लोबिन को झामुमो की राजनीतिक ताकत का एहसास कराया.
शिबू सोरेन को बताया अपना गुरु
हाल ही में रांची में दिशोम गुरु शिबू सोरेन के जन्मदिन पर लोबिन हेंब्रम ने उनके आवास जाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं और आशीर्वाद लिया. इस मुलाकात को उन्होंने राजनीतिक शिष्टाचार बताया और कहा कि शिबू सोरेन उनके राजनीतिक गुरु हैं. लोबिन ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन व्यक्तिगत संबंधों और गुरु-शिष्य के रिश्ते में कभी मनभेद नहीं हो सकता.
झामुमो और लोबिन के पुराने संबंध
लोबिन हेंब्रम झामुमो के कद्दावर नेता माने जाते थे. झामुमो से विधायक रहते हुए उन्होंने शोषण के खिलाफ आवाज उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व को लेकर उनके विरोध और पार्टी के भीतर पंकज मिश्रा के प्रभाव को लेकर उनके असंतोष ने उन्हें झामुमो से दूर कर दिया.
भाजपा में शामिल होने के बाद का सफर
भाजपा में शामिल होने के बाद लोबिन ने पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम किया. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास से भी मुलाकात की और भाजपा की सदस्यता ली. लेकिन विधानसभा चुनाव में हार के बाद उनकी राजनीतिक सक्रियता कम हो गई.
राजनीतिक संकेत
शिबू सोरेन से मुलाकात और उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के बाद लोबिन हेंब्रम के बयान झामुमो से उनकी बढ़ती नजदीकियों का संकेत देते हैं. हालांकि, उन्होंने इसे महज एक शिष्टाचार भेंट बताया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे एक बड़े बदलाव की शुरुआत मान रहे हैं.
झारखंड की राजनीति पर असर
झारखंड में झामुमो और भाजपा के बीच राजनीतिक प्रतिस्पर्धा लंबे समय से चल रही है. लोबिन हेंब्रम जैसे नेताओं का झामुमो के करीब जाना भाजपा के लिए बड़ा झटका हो सकता है. वहीं, झामुमो इस मौके को भुनाकर अपने आधार को और मजबूत कर सकता है.